वक्फ संशोधन विधेयक: क्या NDA का संख्याबल सरकार के लिए संजीवनी साबित होगा?

वक्फ (संशोधन) बिल को लेकर सरकार आश्वस्त नजर आ रही है, क्योंकि संख्याबल NDA के पक्ष में है। बीजेपी को अपने सहयोगी दलों का पूरा समर्थन मिलने की उम्मीद है, खासकर क्योंकि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने उनकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए बिल तैयार किया है।

लोकसभा में NDA की ताकत

कल लोकसभा में यह विधेयक पेश किया जाएगा। सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए लाया जा रहा है। हालांकि, विपक्ष इस बिल के खिलाफ खड़ा हो गया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सभी NDA सहयोगी दलों से समर्थन मांगा है।

लोकसभा में बीजेपी के पास अकेले बहुमत नहीं है, लेकिन NDA गठबंधन की स्थिति मजबूत है। इस बिल को पास कराने के लिए 272 सांसदों का समर्थन जरूरी होगा, जबकि NDA के पास 293 सांसद हैं:

  • BJP: 240 सांसद

  • TDP (चंद्रबाबू नायडू): 16 सांसद

  • JDU (नीतीश कुमार): 16 सांसद

  • LJP (राम विलास): 5 सांसद

  • RLD: 2 सांसद

  • शिवसेना (शिंदे गुट): 7 सांसद

बीजेपी को भरोसा है कि उसके सहयोगी इस बिल का समर्थन करेंगे, जिससे इसे आसानी से पारित किया जा सकेगा।

राज्यसभा में सरकार के लिए क्या चुनौती?

राज्यसभा में कुल 236 सदस्य हैं, जहां किसी भी बिल को पास कराने के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है। NDA के पास 115 सांसद हैं, जिनमें:

  • BJP: 98 सांसद

  • JDU: 4 सांसद

  • TDP: 2 सांसद

  • NCP (अजीत पवार गुट): 3 सांसद

  • RLD: 1 सांसद

इसके अलावा, 6 मनोनीत सांसद हैं, जो आमतौर पर सरकार के पक्ष में वोट देते हैं। इन्हें मिलाकर NDA का कुल संख्याबल 121 तक पहुंच जाता है, जो बहुमत के लिए जरूरी 119 के आंकड़े से अधिक है।

नीतीश-नायडू फैक्टर: सरकार के लिए अग्निपरीक्षा

हालांकि संख्याबल सरकार के पक्ष में दिख रहा है, लेकिन JDU और TDP का समर्थन निर्णायक साबित होगा। अगर नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मजबूती से NDA के साथ खड़े रहते हैं, तो सरकार को कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन अगर वे विपक्ष के रुख को देखते हुए अपने फैसले में बदलाव करते हैं, तो मोदी सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या विपक्ष की रणनीति असर डालेगी?

विपक्षी दल इस बिल को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों से जोड़कर विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस, INDIA गठबंधन के अन्य दल, और कुछ निर्दलीय सांसद इस बिल को रोकने की रणनीति बना सकते हैं। हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए मोदी सरकार को इसे पास कराने में कोई बड़ी दिक्कत नहीं होनी चाहिए—बशर्ते NDA के सहयोगी अंत तक साथ बने रहें।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह बिल आसानी से पास होगा या विपक्ष के विरोध से इसमें रुकावटें आएंगी?