पार्किंसन रोग का कारण बन सकती है Vitamin B12 और D की कमी, जानें कैसे बचें

पार्किंसन रोग एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो मस्तिष्क में डोपामाइन नामक रासायनिक तत्व की कमी के कारण होती है। यह रोग सामान्यतः धीरे-धीरे विकसित होता है और इसके लक्षणों में हाथ-पैरों का कांपना (tremors), मांसपेशियों में अकड़न (rigidity), और शारीरिक गति में कमी (bradykinesia) शामिल होते हैं। पार्किंसन रोग से पीड़ित व्यक्ति के दैनिक जीवन की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ सकता है।

हालांकि, इसका मुख्य कारण मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन होता है, हालिया शोध से यह भी सामने आया है कि Vitamin B12 और Vitamin D की कमी भी पार्किंसन रोग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

Vitamin B12 और D की कमी और पार्किंसन रोग का कनेक्शन

1. Vitamin B12 की कमी:

Vitamin B12 हमारे तंत्रिका तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह नसों की संरचना को बनाए रखने और तंत्रिका कोशिकाओं के संचालन में सहायक होता है। अगर Vitamin B12 की कमी हो, तो यह तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है और पार्किंसन जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकता है।

  • कैसे होती है कमी: असमय थकान, शरीर के विभिन्न हिस्सों में सुन्नपन, मानसिक भ्रम, और संतुलन की समस्याएं Vitamin B12 की कमी के संकेत हो सकती हैं।
  • पार्किंसन से कनेक्शन: लंबे समय तक Vitamin B12 की कमी के कारण तंत्रिका तंत्र पर दबाव बढ़ता है, जिससे पार्किंसन रोग के लक्षण तेज हो सकते हैं।

2. Vitamin D की कमी:

Vitamin D का हमारे शरीर में अनेक कार्य हैं, विशेष रूप से यह हड्डियों के स्वास्थ्य और तंत्रिका तंत्र के सही कामकाज के लिए जरूरी है। हाल के अध्ययनों में यह पाया गया है कि Vitamin D की कमी पार्किंसन रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है।

  • कैसे होती है कमी: थकान, हड्डियों में दर्द, और मूड स्विंग्स Vitamin D की कमी के लक्षण हो सकते हैं।
  • पार्किंसन से कनेक्शन: Vitamin D की कमी से तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता में गिरावट आती है, जिससे पार्किंसन रोग के लक्षण बढ़ सकते हैं, जैसे शारीरिक गति में कमी और मांसपेशियों की कमजोरी।

Vitamin B12 और D की कमी से कैसे बचें?

1. संतुलित आहार लें:

Vitamin B12 और D दोनों को आहार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

  • Vitamin B12 स्रोत:
    • मांसाहारी उत्पाद जैसे मांस, मछली, अंडे, और डेयरी उत्पाद
    • शाकाहारी के लिए फोर्टिफाइड सीरियल और डेयरी उत्पाद
  • Vitamin D स्रोत:
    • धूप में प्रतिदिन 10-15 मिनट की एक्सपोज़र
    • अंडे, मछली, और फोर्टिफाइड डेयरी उत्पाद
    • कुछ विशेष रूप से फोर्टिफाइड आहार, जैसे फोर्टिफाइड दूध और अनाज

2. विटामिन सप्लीमेंट्स का सेवन:

अगर आपके आहार से पर्याप्त Vitamin B12 और D नहीं मिल पा रहे हैं, तो विटामिन सप्लीमेंट्स का सेवन भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। विशेष रूप से बुजुर्गों और शाकाहारी व्यक्तियों को Vitamin B12 की कमी हो सकती है, जबकि Vitamin D के लिए धूप की कमी वाले क्षेत्रों में रहने वालों को सप्लीमेंट्स की आवश्यकता हो सकती है।

3. नियमित स्वास्थ्य जांच:

Vitamin B12 और D की कमी का पता लगाने के लिए नियमित रक्त परीक्षण कराना महत्वपूर्ण है। अगर आपको कमजोरी, थकान या मानसिक समस्याएं महसूस हो रही हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेकर विटामिन लेवल चेक करवाएं।

4. शारीरिक गतिविधि:

व्यायाम और शारीरिक गतिविधि भी पार्किंसन रोग की स्थिति को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है। नियमित व्यायाम से मांसपेशियों में मजबूती आती है और तंत्रिका तंत्र का कार्य बेहतर होता है।

क्यों जरूरी है विटामिन B12 और D का सेवन?

  • तंत्रिका तंत्र का समर्थन: विटामिन B12 और D तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे पार्किंसन जैसे रोगों का खतरा कम हो सकता है।
  • स्वस्थ मस्तिष्क: ये विटामिन मस्तिष्क की कोशिकाओं की रक्षा करते हैं, जिससे मानसिक समस्याएं और तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी को रोका जा सकता है।
  • हड्डियों और जोड़ों का स्वास्थ्य: Vitamin D हड्डियों को मजबूत बनाता है और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है, जिससे पार्किंसन रोग के लक्षण कम हो सकते हैं।

Vitamin B12 और D की कमी पार्किंसन रोग के विकास में सहायक हो सकती है, इसलिए इन विटामिन्स की उचित मात्रा का सेवन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आहार, विटामिन सप्लीमेंट्स और नियमित स्वास्थ्य जांच के जरिए आप अपनी सेहत को बेहतर बना सकते हैं और पार्किंसन जैसे गंभीर रोग से बच सकते हैं।