उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज सरकार “लाचार” है क्योंकि एक पुराना न्यायिक आदेश एफआईआर दर्ज करने में बाधा बना हुआ है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर कोई अपराध हुआ है तो एफआईआर दर्ज होना सबसे बुनियादी कदम है, लेकिन जब तक सर्वोच्च न्यायपालिका से अनुमति नहीं मिलती, पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकती — क्या यह लोकतंत्र में उचित है?
💸 न्यायिक भ्रष्टाचार का जिक्र: “जस्टिस वर्मा के घर से मिली नकदी ने सिस्टम पर सवाल खड़े किए”
उपराष्ट्रपति ने जस्टिस यशवंत वर्मा के निवास से बरामद नकदी की घटना का भी उल्लेख किया और कहा कि यह मामला न्यायपालिका की छवि पर गहरा आघात है। उन्होंने सवाल किया:
👉 अगर यह नकदी नहीं मिलती, तो क्या कभी इस तरह की सच्चाइयाँ सामने आतीं?
👉 क्या इस पैसे ने न्यायिक निर्णयों को प्रभावित किया?
⚖️ न्यायिक समितियाँ कानून से ऊपर नहीं
उपराष्ट्रपति ने यह भी पूछा कि क्या न्यायिक समितियाँ संवैधानिक रूप से वैध हैं? क्या वे न्यायाधीशों को हटाने की विधि या एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया का विकल्प हो सकती हैं?
👨⚖️ वकीलों की जिम्मेदारी और बार की भूमिका
धनखड़ ने देशभर की बार एसोसिएशनों की सराहना करते हुए कहा कि न्याय प्रणाली संकट में हो तो वकीलों की भूमिका और अधिक अहम हो जाती है। उन्होंने यह भी दोहराया कि वह किसी को दोषी नहीं ठहरा रहे, लेकिन निष्पक्ष जांच तो होनी ही चाहिए।
📜 1957 का केस उदाहरण बना
धनखड़ ने 1957 के ‘सरवान सिंह बनाम पंजाब राज्य’ मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि सच्चाई और अनुमान के बीच का फर्क केवल विश्वसनीय साक्ष्य से पता चलता है।
🧭 न्यायपालिका पर विश्वास बना रहे
उन्होंने कहा, “जब जनता का बाकी संस्थाओं से विश्वास उठता है, तब भी लोग न्यायपालिका से उम्मीद करते हैं।” लेकिन अगर इसी संस्था पर संदेह गहराने लगे तो यह लोकतंत्र की नींव को हिला देगा।
📢 नैतिक पतन और चुप्पी खतरनाक है
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी नैतिकता को गिरने नहीं देना चाहिए और ईमानदारी का गला घोंटना लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सार्वजनिक की गई रिपोर्ट की भी सराहना की।
🏛️ बार एसोसिएशन की महत्ता
धनखड़ ने कहा कि यह गर्व की बात है कि दो राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश मिलकर काम करने वाली पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट बार एसोसिएशन देशभर में अद्वितीय है।
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