गोविंदा को तो हम सभी जानते है बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर लंबे समय से फिल्म इंडस्ट्री अपना जलवा बिखेर चुके है। अभी हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सदस्यता ले ली है। अब गोविंदा भी पॉलिटिक्स में कमबैक कर चुके है। एकनाथ शिंदे ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई और उनका स्वागत किया। गोविंदा का कैरियर शुरुआती दिनों में काफी स्ट्रगल भरा रह चुका है, गोविंदा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया। साथ ही इन्होंने ये भी बताया कि कुछ लोग इंडस्ट्री में ऐसे थे जो उनकी फिल्मों को रिलीज नहीं होने देना चाहते थे। जैसा की आपको पता है की है की गोविंदा के पिता अरूण आहूजा के साथ भी कुछ ऐसा हुआ था। गोविंदा के पिता भी बॉलीवुड में हिंदी सिनेमा जगत में नामी एक्टर रह चुके है। इनके पिता ने अपनी खुद की फिल्म प्रोड्यूस की, जिसमें उन्होंने सारा पैसा लगा दिया था, लेकिन कुछ कारणों के चलते वो फिल्म फ्लॉप हो गई थी। इस वजह से इनके पिता को भारी नुकसान उठाना पड़ गया था। घर के बिकने तक की नौबत आ गई थी। गोविंदा ने बताया की वे अपनी मां के भी बेहद करीब हैं। मां को इतना परेशान देखने के बाद गोविंदा ने कुछ कर गुजरने की ठानी ली थी।
गोविंदा ने 90 के दशक में एक साथ 10-10 फिल्में एक साथ कि थी। गोविंदा के बारे में ये बात सभी जानते हैं कि वह फिल्मी घराने से भी संबंध रखते हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें अपना करियर बनाने के लिए संघर्ष भी करना पड़ा था।
जब तंगी की नौबत आई तो उस समय गोविंदा को उन दिनों उनकी फैमिली काफी बेइज्जत होना पड़ा था। पिता का कर्ज बढ़ने की वजह से एक किराने की दुकान वाले ने उन्हें बहुत अपमानित किया था। दुकानदार उन्हें घंटों खड़ा रखता था और उनके को पिता उधार का दाल-चावल और अन्य राशन का सामान देने में अपमानित महसूस कराता था। उस दुकानदार ने कई बार ऐसा किया। गोविंदा खुद भी उस दुकान पर जाना छोड़ दिया। मां को दुखी देखकर गोविंदा भी रो पड़ते थे। यह सब उस वक्त हुआ था जब इनके पिता अरुण आहुजा की फिल्म बुरी तरह से पिट गई थी।