मनोज सोनी संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के चेयरमैन ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। सोनी के इस्तीफे की खबर ऐसे समय में आई है जब परीक्षा आयोग को सिविल सेवाओं में चयन के लिए अपनी जाति, आय और शारीरिक विकलांगता कोटा गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाले उम्मीदवारों के चयन में लापरवाही के लिए गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। सोनी का कार्यकाल 2029 में समाप्त होना था, लेकिन उन्होंने समय सीमा से पांच साल पहले ही इस्तीफा दे दिया।
एएनआई ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सूत्रों के हवाले से बताया कि “यूपीएससी के चेयरमैन मनोज सोनी ने निजी कारणों से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।” मनोज सोनी ने 2023 में यूपीएससी के चेयरमैन का पदभार संभाला था। वे 2017 में यूपीएससी में सदस्य के तौर पर शामिल हुए थे। अगर रिपोर्ट्स की मानें तो सोनी ने पूजा खेडकर विवाद से काफी पहले यानी करीब एक महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2020 में स्वामीनारायण संप्रदाय से दीक्षा प्राप्त करने वाले सोनी संप्रदाय की गुजरात शाखा अनुपम मिशन को अधिक समय देना चाहते हैं। मनोज सोनी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने 2005 में सोनी को वडोदरा के एमएस विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया था।
चूंकि सोनी ने एक महीने पहले इस्तीफा दिया था, इसलिए उनके इस्तीफे का हाल ही में फर्जी प्रमाण पत्र विवाद से कोई संबंध नहीं है, जो प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर के कथित तौर पर वीआईपी विशेषाधिकार मांगने के बाद सुर्खियों में आया था। खेडकर पर अपने ओबीसी आय और विकलांगता प्रमाण पत्र में जालसाजी करने का भी आरोप है। कल यूपीएससी ने उनके खिलाफ ‘फ्रॉग आईएएस’ करार देते हुए एफआईआर दर्ज की। पूजा खेडकर विवाद के कारण सोशल मीडिया यूजर्स ने कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के चयन में विसंगतियों की ओर इशारा किया, जिन्होंने कथित तौर पर फर्जी ईडब्ल्यूएस, ओबीसी और एससी प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल कर यूपीएससी को बेवकूफ बनाया।
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