अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अपना रुख और कड़ा कर लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को पत्र लिखकर दो महीने की समयसीमा दी है, जिसमें ईरान को नए परमाणु समझौते पर सहमति देने या गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई है।
अमेरिकी समाचार पत्र एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, अगर ईरान इस प्रस्ताव को अस्वीकार करता है, तो अमेरिका या इजरायल की ओर से उसकी परमाणु सुविधाओं के खिलाफ सैन्य कार्रवाई हो सकती है।
ट्रंप का सख्त रुख – वार्ता की लंबी प्रक्रिया नहीं चाहते!
एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के इस पत्र को ‘कठोर’ बताया गया है। इसमें कहा गया है कि वे अनिश्चितकालीन वार्ता नहीं चाहते और ईरान को सिर्फ दो महीने का समय दिया गया है। अगर इस दौरान कोई समझौता नहीं होता, तो सख्त कदम उठाए जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक, यह पत्र यूएई (UAE) के वरिष्ठ राजनयिक अनवर गरगाश के जरिए खामेनेई तक पहुंचाया गया है। यह संदेश उस समय भेजा गया जब ईरान ने पहले ही बातचीत की संभावना को नकारते हुए कहा कि वे अमेरिकी प्रतिबंधों में कोई ढील नहीं देंगे, बल्कि उन पर और सख्ती बरतेंगे।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, तेहरान अभी भी इस पत्र की समीक्षा कर रहा है और मूल्यांकन पूरा होने के बाद जवाब देगा।
ईरान पर फिर से ‘अधिकतम दबाव’ नीति
ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद, उन्होंने ईरान के खिलाफ अपनी पुरानी ‘अधिकतम दबाव’ नीति को फिर से लागू कर दिया है।
हालांकि, ईरान लगातार यह दावा करता रहा है कि वह परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिश नहीं कर रहा है। लेकिन अमेरिका और इजरायल को डर है कि तेहरान परमाणु बम बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
क्या ईरान झुकेगा या तनाव बढ़ेगा?
अब सवाल यह है कि ईरान इस अल्टीमेटम को स्वीकार करेगा या अमेरिका और इजरायल के साथ तनाव और बढ़ेगा?
अगर ईरान परमाणु समझौते को मानने से इंकार करता है, तो क्या ट्रंप प्रशासन सच में सैन्य कार्रवाई करेगा?
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