राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि राज्यसभा का यह 265वां सत्र छह दशकों से अधिक समय के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए नव निर्वाचित सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रथम बजट पर चर्चा की दृष्टि से महत्वपूर्ण सत्र है।
धनखड़ ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि यह प्रतिष्ठित सदन, वाद-विवाद में संयम बरतते हुए पक्षपातपूर्ण हितों से ऊपर उठकर राष्ट्र की सेवा करने का संकल्प और राजनीति का मार्ग प्रशस्त करते हुए राष्ट्र का नेतृत्व करेगा।
उन्होंने कहा कि निस्संदेह, हमारी राजनीति में तापमान को कम करने की आवश्यकता है। इस सदन को संसदीय परंपराओं, संसद की पवित्रता और औचित्य के उच्चतम मानकों को प्रतिबिंबित करना चाहिए जो इस सबसे बड़े लोकतंत्र के विधानमंडलों और अन्य देशों के लिए भी प्रेरणादायी होंगे। विश्व हमारी ओर देख रहा है; आइए हम उसकी अपेक्षा पर खरा उतरें।
धनखड़ ने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि सदन की कार्यवाही समृद्ध और जानकारीपूर्ण चर्चा से परिपूर्ण होगी और इसके अधिकतम समय का उपयोग राष्ट्र के लाभ के लिए किया जाएगा। उन्होंने सदस्यों का आह्वान करते हुए कहा कि आइए हम ‘संवाद, चर्चा, विचार-विमर्श और बहस’ के सिद्धांतों को कायम रखें, मजबूत संसदीय संवाद के लिए अनुकूल माहौल तैयार करें और राष्ट्र के सामने एक उदाहरण पेश करें।
उन्होंने सदस्यों का ध्यान एक अन्य महत्वपूर्ण और चिंताजनक पहलू की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि कई बार, सदस्यों द्वारा सभापति को लिखे गए संदेश सार्वजनिक डोमेन में पहुंच जाते हैं और कभी-कभी तो संदेश पाने वाले तक पहुंचने से पहले ही यह हो जाता है। जनता का ध्यान आकर्षित वाली इस अनुचित प्रथा से बचा जाना चाहिए।
धनखड़ ने कहा कि भारत से परे ऐसा कुछ भी नहीं है जो हम हासिल नहीं कर सकते। आइए हम हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखने के लिए समर्पित हों और पक्षपातपूर्ण हितों को दरकिनार करें। इसकी शुरुआत के लिए लोकतंत्र के इस मंदिर से बेहतर कोई स्थान नहीं है। आइए, हम सभी जन कल्याण के लिए एकजुट होकर कार्य करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करें।
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