हाथ-पैर में झनझनाहट के ये कारण कर सकते हैं बड़ा नुकसान

कभी-कभी हाथ-पैर में सुई चुभने जैसी झनझनाहट (Tingling) महसूस होती है, जो कुछ समय बाद ठीक हो जाती है। लेकिन अगर यह समस्या बार-बार होती है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। इसे नजरअंदाज करना आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

आइए जानते हैं हाथ-पैर में झनझनाहट के प्रमुख कारण, इससे जुड़ी बीमारियां और बचाव के उपाय।

हाथ-पैर में झनझनाहट क्यों होती है?

झनझनाहट तब होती है जब स्नायु (Nerves) पर दबाव पड़ता है या फिर रक्त संचार प्रभावित होता है। यह अस्थायी भी हो सकती है और किसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या का संकेत भी।

अगर झनझनाहट के साथ दर्द, कमजोरी या सुन्नपन भी महसूस हो रहा है, तो यह किसी गंभीर बीमारी की ओर इशारा कर सकता है।

हाथ-पैर में झनझनाहट के 6 प्रमुख कारण

1. नसों पर दबाव (Nerve Compression)

लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने या लेटने से नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे रक्त संचार बाधित हो जाता है और झनझनाहट होती है।
यह आमतौर पर अस्थायी होता है, लेकिन बार-बार हो तो डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।


2. विटामिन और मिनरल्स की कमी

विटामिन B12, B6, विटामिन D और मैग्नीशियम की कमी से नसों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे झनझनाहट होती है।अगर शरीर को जरूरी पोषण न मिले, तो लंबे समय में नर्व डैमेज हो सकता है।

क्या करें?

  • डाइट में हरी सब्जियां, दूध, दही, नट्स और अंडे शामिल करें।
  • डॉक्टर की सलाह से विटामिन सप्लीमेंट्स लें।

3. डायबिटीज (Diabetes) – डायबेटिक न्यूरोपैथी

हाई ब्लड शुगर से नसों को नुकसान (Neuropathy) हो सकता है, जिससे झनझनाहट और सुन्नपन महसूस होता है।डायबिटीज के मरीजों में यह समस्या सबसे ज्यादा पैरों में होती है।

क्या करें?

  • ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखें।
  • डॉक्टर की सलाह से न्यूरोपैथी का इलाज करवाएं

नसों की कमजोरी और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर

सियाटिका (Sciatica), मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) और स्ट्रोक जैसी बीमारियों में भी झनझनाहट होती है।अगर झनझनाहट के साथ चलने में दिक्कत, बोलने में परेशानी या शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

5. थायरॉइड की समस्या (Hypothyroidism)

हाइपोथायरॉइडिज्म में नसों पर असर पड़ता है, जिससे झनझनाहट, सुन्नपन और कमजोरी महसूस होती है।यह आमतौर पर उन लोगों में ज्यादा होता है, जिनका थायरॉइड अनियंत्रित रहता है।

क्या करें?

  • थायरॉइड का नियमित जांच करवाएं।
  • डॉक्टर की सलाह से थायरॉइड दवाएं और डाइट फॉलो करें।

6. अधिक शराब या धूम्रपान का सेवन

शराब और धूम्रपान से नसें कमजोर होने लगती हैं, जिससे हाथ-पैर में झनझनाहट और सुन्नपन होता है।ज्यादा शराब पीने से विटामिन B1 और B12 की कमी भी हो सकती है।

क्या करें?

  • शराब और धूम्रपान से दूरी बनाएं।
  • शरीर को डिटॉक्स करने के लिए पानी और हेल्दी डाइट लें।

झनझनाहट को नजरअंदाज करने से हो सकती हैं ये बीमारियां!

अगर झनझनाहट लगातार बनी रहती है, तो यह गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकती है:

  1. डायबेटिक न्यूरोपैथी – हाई ब्लड शुगर के कारण नसों को नुकसान।
  2. स्ट्रोक (Brain Stroke) – अगर झनझनाहट के साथ बोलने में दिक्कत और एक तरफ कमजोरी हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  3. सियाटिका (Sciatica) – रीढ़ की हड्डी की समस्या से पैरों में तेज झनझनाहट और दर्द।
  4. मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) – एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी, जिसमें शरीर सुन्न पड़ सकता है।
  5. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) – शरीर की इम्यूनिटी नसों पर हमला करने लगती है, जिससे झनझनाहट और कमजोरी होती है।

हाथ-पैर में झनझनाहट से बचाव के लिए ये 5 असरदार उपाय अपनाएं

1. पोषण से भरपूर डाइट लें

विटामिन B12, B6, D और मैग्नीशियम युक्त भोजन करें।
हरी सब्जियां, फल, अंडा, दूध और सूखे मेवे खाएं।

2. एक्सरसाइज और योग करें

रोजाना 30 मिनट वॉक, स्ट्रेचिंग और योग करने से नसें मजबूत होती हैं।
ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है और झनझनाहट की समस्या कम होती है।

3. कैफीन और शराब से बचें

ज्यादा कैफीन और शराब नसों को नुकसान पहुंचाते हैं।
शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए 8-10 गिलास पानी पिएं।

4. लंबे समय तक एक ही पोजीशन में न बैठें

काम के दौरान हर 30-40 मिनट में ब्रेक लें और थोड़ा चलें।
नसों पर दबाव कम करने के लिए अच्छी कुर्सी और सही पोजीशन में बैठें।

5. समय पर डॉक्टर से सलाह लें

अगर झनझनाहट लगातार बनी रहती है या अन्य लक्षणों के साथ हो रही है, तो डॉक्टर से जांच करवाएं।सही समय पर इलाज से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।

हाथ-पैर में झनझनाहट होना आम समस्या हो सकती है, लेकिन अगर यह बार-बार होती है, तो इसे हल्के में न लें। यह डायबिटीज, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, विटामिन की कमी या स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है।