ऑस्टियोपोरोसिस एक “साइलेंट डिजीज” है, जो बिना शोर किए आपकी हड्डियों को अंदर से खोखला करना शुरू कर देती है। इसमें हड्डियां अपना कैल्शियम और मिनरल डेंसिटी खोने लगती हैं, जिससे उनकी मजबूती घट जाती है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
इस बीमारी की शुरुआत अक्सर शरीर की कुछ खास हड्डियों से होती है, जो सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। आइए जानते हैं कौन-सी हैं वो हड्डियां और किन संकेतों से आप सतर्क हो सकते हैं:
1. 🦵 कूल्हे की हड्डी (Hip Bone)
ऑस्टियोपोरोसिस में सबसे पहला असर कूल्हे की हड्डी पर देखा जाता है। क्योंकि यह शरीर की सबसे मजबूत और बड़ी हड्डियों में से एक होती है, इस पर वजन का दबाव भी ज्यादा होता है।
जब यह हड्डी कमजोर होती है, तो चलने, उठने-बैठने में दर्द शुरू हो सकता है। कई बार यह दर्द पहले मामूली लगता है, लेकिन समय के साथ यह गंभीर रूप ले सकता है।
2. 💪 कलाई की हड्डी (Wrist Bone)
ऑस्टियोपोरोसिस की एक और आम पहचान है — कलाई में दर्द या अकड़न। कलाई की हड्डी जब अंदर से कमजोर होने लगती है, तो सामान उठाने, हाथ मोड़ने या ज़रा-सी चोट लगने पर भी फ्रैक्चर हो सकता है। अगर आपकी कलाई अचानक दर्द करने लगे या उसमें लचक महसूस हो, तो इसे हल्के में न लें।
3. 🧍♀️ रीढ़ की हड्डी (Spinal Bones)
रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइन, शरीर का आधार होती है — और ऑस्टियोपोरोसिस उस पर सीधा असर डालता है। इससे पीठ दर्द, झुकाव, और शरीर की ऊंचाई में कमी जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, कमर झुकने, बैठने-उठने में परेशानी और लगातार पीठ दर्द की शिकायत आम हो जाती है।
⚠️ कब सतर्क हो जाएं?
अगर आपको लगातार कमर, कूल्हे या कलाई में दर्द रहता है
झुकने या चलने-फिरने में परेशानी हो रही है
या आपकी हड्डियां मामूली चोट में भी टूटने लगें
तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और हड्डियों की जांच (BMD Test) करवाएं।
जितनी जल्दी ऑस्टियोपोरोसिस पकड़ा जाए, उतना बेहतर होता है। क्योंकि समय पर इलाज और खानपान में बदलाव इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं।
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