बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने देश में बढ़ती बेरोजगारी और अमीर एवं गरीबों के बीच बढ़ रही खाई पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि देश में विकास दर के दावे के हिसाब से उतनी नौकरी क्यों नहीं है, इसके लिए कौन लोग दोषी हैं?
मायावती ने मंगलवार को एक्स पोस्ट में कहा कि देश में रोजगार का घोर अभाव ही नहीं बल्कि अमीर व गरीबों के बीच बढ़ती खाई अर्थात देश में पूंजी के असामान्य वितरण से आर्थिक गैर-बराबरी के रोग के गंभीर होने से जन एवं देशहित प्रभावित हैं। देश में विकास दर के दावे के हिसाब से यहां उतनी नौकरी क्यों नहीं? इसके लिए दोषी कौन? इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी भारी-भरकम विज्ञापनों के जरिए यह दावा किया कि यहां रोजगार की बहार, वास्तव में इनके अन्य दावों की तरह ही यह जमीनी हकीकत से दूर हवाहवाई ज्यादा है।
पेट भरने के लिए मेहनत व जैसा-तैसा स्वरोजगार को भी अपनी उपलब्धि मानना बेरोजगारी आदि की समस्या का समाधान नहीं। उन्होंने लिखा कि लगभग 25 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 6.5 लाख प्लस सरकारी नौकरी का दावा क्या ऊँट के मुंह में ज़ीरा नहीं? इसी प्रकार केंद्र में भी स्थाई नौकरियों का बुरा हाल है, जहां पद खाली पड़े हैं।
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