सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी। इस कानून के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में विरोध है, और पुलिस व प्रशासन ने सुनवाई को लेकर अलर्ट मोड पर हैं। इससे पहले 17 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई हुई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 7 दिन में अपना पक्ष रखने और जवाब देने का समय दिया था। साथ ही, अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियों पर रोक भी लगा दी गई थी।
हलफनामे में क्या था खास?
केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि वक्फ संशोधन कानून पूरी तरह से संवैधानिक है। केंद्र का कहना था कि संसद ने इसे पारित किया है, और इस पर कोई रोक नहीं लगानी चाहिए। सरकार ने दावा किया था कि 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से अधिक इजाफा हुआ है, और कई बार सरकारी और निजी भूमि को लेकर विवाद भी सामने आ चुके हैं। हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इन आंकड़ों को गलत बताते हुए कहा था कि झूठा हलफनामा देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 5 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था और रिजॉइंडर दाखिल करने का समय भी दिया था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 1332 पेज का हलफनामा दायर किया था, जिसमें बताया गया कि वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन 1923 से अनिवार्य किया गया है। सरकार का कहना था कि वक्फ (संशोधन) एक्ट 2025 मुसलमानों की धार्मिक प्रथाओं का सम्मान करता है।
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