महाकुंभ में आए मौनी बाबा की कहानी

प्रतापगढ़ स्थित शिवशक्ति बजरंग धाम के मौनी बाबा की कहानी लोगों को प्रेरित करती है। मौनी बाबा का असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है। दावा किया जाता है कि बाबा पिछले 41 वर्षों से मौन हैं, जिसके चलते उन्हें “मौनी बाबा” के नाम से जाना जाता है। दिनेश स्वरूप का परिवार पढ़ाई-लिखाई के माहौल में पला-बढ़ा, क्योंकि उनके परिवार में कई शिक्षक थे। उन्होंने बायोलॉजी में बीएससी तक की पढ़ाई की।

उनके पिता कॉलेज के प्राचार्य थे। उनकी मृत्यु के बाद शिक्षा विभाग ने पिता की जगह पर दिनेश को अनुकंपा नियुक्ति दी, और इस तरह वह सरकारी शिक्षक बन गए।

कैसे मौनी बाबा ने बदल दी कोचिंग की परिभाषा?

सरकारी शिक्षक की नौकरी मिलने के बावजूद उनका मन नौकरी में नहीं लगा। उन्होंने संन्यास ले लिया और मौन व्रत धारण कर लिया। इसके बावजूद उन्होंने बच्चों को शिक्षित करने का कार्य जारी रखा।

मौनी बाबा ने सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले युवाओं को निःशुल्क कोचिंग देना शुरू किया। वह व्हाट्सएप के जरिए छात्रों को पढ़ाते हैं। छात्र अपने सवाल लिखकर उन्हें भेजते हैं और बाबा उनका उत्तर लिखित रूप में ही देते हैं। इसके अलावा वह तैयारी करने वाले छात्रों के लिए नोट्स भी तैयार करते हैं।

उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि हर साल उनके पढ़ाए हुए 2-3 छात्र सिविल सर्विसेज में चयनित होते हैं।