पाकिस्तान की एनीमिया पीड़ित महिलाओं में से 14.4% का वजन कम है और 24% का अधिक । मातृ पोषण इतना अपर्याप्त है कि 1 लाख जीवित प्रसव में से 186 महिलाएं मर जाती हैं। यानी जो देश आने वाली पीढ़ी के लिए महिलाओं की रक्षा नहीं कर पा रहा वह पड़ोसी देशों से कई साल तक जंग का ख्याल पाले बैठा है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि देश में घटिया स्तनपान के कारण हर साल स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर से 2,000 और टाइप टू मधुमेह से 1,100 मातृ मृत्यु होती हैं। पाकिस्तान में हर साल कम वजन के जन्म के 14 लाख केस भी सामने आते हैं।
कुपोषण की स्थिति बेहद गंभीर
इससे पहले, पाकिस्तान नेशनल क्लस्टर की रिपोर्टों ने गंभीर कुपोषण संकट को उजागर किया है, जो लाखों पाकिस्तानियों, विशेष रूप से बच्चों की पोषण स्थिति की भयावह तस्वीर पेश करता है। रिपोर्ट इस बात को रेखांकित करती है कि पाकिस्तान अपने इतिहास में कुपोषण की सबसे अधिक दरों का सामना कर रहा है, जो आर्थिक कठिनाई, खाद्य असुरक्षा, सीमित स्वास्थ्य देखभाल और जलवायु और पर्यावरणीय चुनौतियों जैसे कारकों से प्रेरित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में स्थिति काफी गंभीर है।
एनीमिया मामलों में चौथा स्थान
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में हर साल गर्भवती माताओं में एनीमिया के 9,18,154 मामले आते हैं। आठ दक्षिण एशियाई देशों में महिलाओं में एनीमिया के मामले में यह देश चौथे स्थान पर है और 201 देशों में वैश्विक स्तर पर 35वें स्थान पर। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान को कुपोषण के कारण सालाना 17 अरब डॉलर का नुकसान होता है।
अरबों डॉलर का आर्थिक बोझ
पाकिस्तान में अपर्याप्त स्तनपान के कारण 28 अरब डॉलर का आर्थिक बोझ पड़ता है। यह डायरिया के 69 लाख मामलों, बचपन में मोटापे के 19,000 मामलों, डायरिया और निमोनिया से 30,525 बच्चों की मौत और स्तन व डिम्बग्रंथि के कैंसर तथा टाइप टू मधुमेह से 3,196 माताओं की मृत्यु के कारण होता है।