राज्यपाल की भूमिका पर फिर सुप्रीम कोर्ट में बहस, केरल और तमिलनाडु के मामलों में अंतर पर जोर

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को केरल सरकार द्वारा राज्यपाल पर विधेयकों को मंजूरी देने में देरी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि यह मामला तमिलनाडु से अलग है और इसमें कई तथ्यात्मक अंतर हैं।

न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ इस याचिका की सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया है कि केरल विधानसभा से पारित कई विधेयकों पर राज्यपाल द्वारा फैसला लेने में अनावश्यक देरी की जा रही है।

⚖️ क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में?
केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि हाल ही में तमिलनाडु के राज्यपाल से जुड़े मामले में आए फैसले से केरल का मामला पूरी तरह कवर होता है। इसलिए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस याचिका को भी उसी फैसले के आलोक में अनुमति दे।

हालांकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस पर पूरी दलील रखना चाहते हैं क्योंकि यह मामला तमिलनाडु के फैसले से पूर्णतः भिन्न है। साथ ही उन्होंने इस पर सुनवाई को टालने की मांग की।

अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भी सॉलिसिटर जनरल का समर्थन करते हुए कहा कि केरल का मामला कुछ फैक्ट्स के आधार पर अलग है, जो कि तमिलनाडु के फैसले में शामिल नहीं थे।

📆 अब 6 मई को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया कि पहले केरल सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब वह संशोधन वापस ले लिया गया है क्योंकि तमिलनाडु मामले का निर्णय पहले ही उस बिंदु को कवर करता है।

अंततः कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 6 मई 2025 की तारीख तय की है।

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