उच्चतम न्यायालय ने 2021 के अपने आदेश की समीक्षा के लिए दायर सीमाशुल्क विभाग की याचिका पर फैसला बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया।
न्यायालय ने 2021 के आदेश में कहा था कि राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) के अधिकारियों को सीमा शुल्क विभाग द्वारा आयात के लिए पहले से मंजूरी प्राप्त वस्तुओं पर शुल्क वसूली का कोई अधिकार नहीं है।
चार दिन से अधिक समय तक चली सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सीमा शुल्क विभाग की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एन. वेंकटरमन और मामले में निजी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के नेतृत्व में वकीलों के एक समूह की दलीलें सुनीं।
आमतौर पर, निर्णयों के खिलाफ समीक्षा याचिकाओं पर न्यायाधीश चैंबर में विचार करते हैं और मौखिक दलीलें स्वीकार नहीं की जातीं। हालांकि, सीमा शुल्क विभाग की समीक्षा याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की गई।
एएसजी वेंकटरमन ने 2021 के फैसले को खारिज करने का पुरजोर अनुरोध करते हुए कहा कि डीआरआई के अधिकारियों को भी सीमा शुल्क अधिनियम के तहत आयात के लिए पहले से मंजूरी प्राप्त वस्तुओं पर शुल्क वसूलने की मांग करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘1977 के बाद से सीमा शुल्क और डीआरआई (केंद्रीय) वित्त मंत्रालय का हिस्सा रहे हैं और उनके अधिकारी कानून के तहत अधिकारियों की एक श्रेणी बनाते हैं।”
एएसजी ने कहा कि यह निर्णय इस ‘गलत धारणा’ पर आधारित है कि डीआरआई अधिकारी सीमा शुल्क अधिनियम के तहत ‘उचित अधिकारी’ नहीं है, बल्कि केंद्र सरकार के एक अलग विभाग का अधिकारी है।
सीमा शुल्क विभाग नौ मार्च, 2021 के फैसले की समीक्षा का अनुरोध कर रहा है, जिसमें तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि डीआरआई अधिकारी सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत ‘उचित अधिकारी’ नहीं है और उसे सीमा शुल्क विभाग द्वारा आयात के लिए पहले से मंजूरी दे दी गई वस्तुओं पर वसूला गया शुल्क मांगने का अधिकार नहीं है।
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