दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी की शिकायत पर दर्ज वाइफ स्वैपिंग, रेप और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोपों वाले एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी है। आरोपी निकुंद कुमार झा को पत्नी ने खुद इन गंभीर आरोपों में फंसाया है। अदालत ने मामले की गंभीरता, सबूतों और आरोपी की कथित हरकतों को देखते हुए यह फैसला सुनाया।
🧾 कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की अवकाश पीठ ने कहा कि:
“मामले में न केवल वाइफ स्वैपिंग का गंभीर आरोप है, बल्कि शिकायतकर्ता के बयान में बलात्कार और गैंगरेप जैसे गंभीर अपराध भी दर्ज हैं। आरोपी की ओर से नई सिम कार्ड और काल्पनिक नाम से की गई चैटिंग की पुष्टि हो चुकी है, जो उसी के नाम पर रजिस्टर्ड पाई गई।”
🔍 जांच में क्या सामने आया?
आरोपी ने अग्रिम जमानत के बाद शिकायतकर्ता से दोबारा टेक्स्ट चैटिंग की थी।
सेशन कोर्ट के समक्ष आरोपी ने खुद माना कि वह चैट उसी ने की थी।
इसलिए हाई कोर्ट ने माना कि आरोपी की जमानत पर रिहाई मामले की प्रकृति को देखते हुए अनुचित होगी।
⚖️ क्या है पूरा मामला?
केएन काटजू मार्ग थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, शुरुआत में आरोपी पर क्रूरता और विश्वासघात जैसे आरोप थे।
बाद में महिला के मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान के आधार पर उस पर बलात्कार, नशीले पदार्थ देकर उत्पीड़न, यौन शोषण, गैंगरेप और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 जैसी धाराएं भी जोड़ दी गईं।
👩⚖️ पीड़िता का आरोप
पीड़िता ने आरोप लगाया कि:
उसका देवर बार-बार गलत तरीके से छूता था।
जब उसने अपने पति से शिकायत की, तो उसने बात अनदेखी करने को कहा।
पति ने उसके हाथ ब्लेड से घायल किए और उसी स्थिति में रसोई का काम करने को मजबूर किया।
आरोपी ने उसे पत्नी की अदला-बदली (वाइफ स्वैपिंग) के लिए मजबूर किया और होटल में ले जाकर अपने दोस्तों से छेड़छाड़ करवाई।
वह किसी तरह वहां से भागी।
बाद में आरोपी ने पीड़िता की फर्जी सोशल मीडिया आईडी बनाई और उसकी तस्वीरों का दुरुपयोग करते हुए उन्हें वेश्यावृत्ति से जोड़ने की कोशिश की।
👨⚖️ बचाव पक्ष की दलील
आरोपी के वकील ने कहा कि यह वैवाहिक विवाद से जुड़ा मामला है और आरोपी को झूठे केस में फंसाया गया है।
लेकिन अभियोजन पक्ष ने बताया कि आरोपी ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया, जिससे उसकी पहले मिली अग्रिम जमानत रद्द हो गई।
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