भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मेलबर्न में खेला जा रहा चौथा टेस्ट मैच एक नई विवाद की चपेट में आ गया। इस टेस्ट मैच के पांचवे दिन, यशस्वी जायसवाल की शानदार बल्लेबाजी की जद्दोजहद एक थर्ड अंपायर के फैसले से समाप्त हो गई। जायसवाल, जिन्होंने अपनी पारी में बेहतरीन शॉट्स खेले थे, एक सटीक और निर्णायक गेंद पर आउट हो गए। इस फैसले पर भारतीय क्रिकेट फैंस का गुस्सा बढ़ गया है और दिग्गज क्रिकेटर्स ने भी थर्ड अंपायर के निर्णय पर सवाल उठाए हैं।
किस तरह हुआ यशस्वी जायसवाल का आउट?
यह घटना ऑस्ट्रेलिया के कप्तान पैट कमिंस द्वारा फेंके गए पारी के 71वें ओवर के दौरान हुई। इस ओवर में एक गेंद पर यशस्वी जायसवाल ने बड़ा शॉट खेलने की कोशिश की, लेकिन गेंद सीधे विकेटकीपर एलेक्स कैरी के हाथों में चली गई। इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने जोरदार अपील की और अंपायर ने नॉटआउट का निर्णय दिया। हालांकि, इसके बाद कमिंस ने थर्ड अंपायर से इस फैसले की पुनः जांच करने का आग्रह किया।
थर्ड अंपायर ने विस्तृत जांच की, जिसमें अल्ट्राएज तकनीक का उपयोग किया गया, लेकिन उस समय गेंद के दस्ताने से टकराने पर कोई स्पाइक नहीं था। हालांकि, जब गेंद दस्ताने के पास से गुजरी, तो उसका एंगल बदल गया, और स्निको मीटर पर कोई स्पष्ट रीडिंग न होने के बावजूद, थर्ड अंपायर ने यशस्वी जायसवाल को आउट करार दे दिया।
भारतीय फैंस का गुस्सा और निराशा
जायसवाल का आउट होना भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक बड़ा झटका था। इस पारी में यशस्वी के कंधों पर टीम इंडिया की उम्मीदें थी, और वे शतक के काफी करीब थे। ऐसे में थर्ड अंपायर का यह फैसला भारतीय फैंस के लिए अत्यधिक निराशाजनक साबित हुआ। सोशल मीडिया पर भारतीय फैंस ने अपनी भड़ास निकालते हुए थर्ड अंपायर के फैसले को गलत ठहराया। कुछ फैंस ने तो इसे भारतीय क्रिकेट के खिलाफ एक साजिश के तौर पर देखा और इसे नियमों की मनमानी करार दिया।
क्या कह रहे हैं क्रिकेट के दिग्गज?
पूर्व भारतीय क्रिकेटर्स ने भी थर्ड अंपायर के फैसले पर सवाल उठाए हैं। दिग्गज क्रिकेटर, जो पहले ही थर्ड अंपायर के फैसलों से निराश थे, अब इस फैसले को लेकर और भी ज्यादा असहमत हैं। उनका कहना है कि क्रिकेट के फैसले केवल तकनीकी उपकरणों पर निर्भर नहीं होने चाहिए, बल्कि अंपायरों को अपने अनुभव का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
विशेष रूप से पूर्व भारतीय क्रिकेटर और एक्सपर्ट संजय मांजरेकर ने थर्ड अंपायर के फैसले पर अपनी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि यह फैसला एक उदाहरण के तौर पर गलत था, क्योंकि कुछ तकनीकी कारणों के कारण निर्णय लिया गया, जो कि एक अच्छे खेल के लिए उचित नहीं था।
फैसले से उभरी तकनीकी परेशानियाँ
इस घटनाक्रम ने क्रिकेट की तकनीकी उपकरणों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए हैं। अल्ट्राएज और स्निको मीटर जैसे उपकरणों का उद्देश्य बल्लेबाज के दस्ताने से टकराने वाली गेंद का सही निर्णय लेना होता है, लेकिन इन उपकरणों ने इस बार ठीक से संकेत नहीं दिए। स्निको मीटर पर कोई स्पष्ट रीडिंग नहीं थी, फिर भी फैसला आउट दिया गया, जिससे तकनीकी उपकरणों की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि तकनीकी उपकरणों की सीमाएँ भी हो सकती हैं और कभी-कभी अंपायर के पास मौजूद अनुभव और निर्णय की क्षमता की भी अहमियत होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर उपकरणों से सही संकेत नहीं मिलते हैं तो अंपायर को अपनी समझ और अनुभव का उपयोग करना चाहिए।
दिग्गज क्रिकेटर्स ने उठाए सवाल
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों ने भी इस फैसले पर चिंता जताई। तेंदुलकर ने कहा कि अगर कोई उपकरण स्पष्ट रूप से गेंद के संपर्क की जानकारी नहीं दे पा रहा है, तो अंपायर को फैसले में दया और समझदारी का उपयोग करना चाहिए। गांगुली ने भी इस मुद्दे पर अपनी असहमति जताई और कहा कि क्रिकेट में फैसले में निरंतरता होना चाहिए।
सोशल मीडिया पर फैंस की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर भारतीय फैंस का गुस्सा फूट पड़ा है। ट्विटर और फेसबुक पर ढेरों पोस्ट्स और हैशटैग चल रहे हैं, जिसमें फैंस ने थर्ड अंपायर के फैसले को गलत ठहराया है। फैंस ने इसे भारतीय क्रिकेट को नुकसान पहुंचाने वाला कदम करार दिया। कई फैंस ने तो यह भी कहा कि यह फैसला मैच के परिणाम को प्रभावित कर सकता है, खासकर जब टीम इंडिया को मैच जीतने की जरूरत थी।
कुछ फैंस ने तो इसे क्रिकेट में तकनीकी हस्तक्षेप का अत्यधिक उपयोग बताया और इसे खेल के प्राकृतिक आंनद को छीनने वाला कदम माना। वहीं, कुछ ने इसे अंपायर की कमज़ोरी का परिणाम बताया और उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में ऐसी घटनाओं से बचा जाएगा।
निष्कर्ष
यशस्वी जायसवाल का थर्ड अंपायर के फैसले पर आउट होना भारतीय क्रिकेट फैंस और दिग्गजों के लिए एक विवादित मामला बन गया है। इस फैसले ने तकनीकी उपकरणों की विश्वसनीयता और अंपायरों के निर्णय के बारे में कई सवाल उठाए हैं। फिलहाल, फैंस और क्रिकेट के एक्सपर्ट्स इस फैसले पर अपनी निराशा व्यक्त कर रहे हैं, और इस घटना ने क्रिकेट की न्यायिक प्रक्रिया पर विचार करने की आवश्यकता को महसूस कराया है।
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