सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के रमेश बघेल द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाया। याचिका में रमेश ने अपने पिता के शव को ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार पैतृक गांव चिंदवाड़ा के कब्रिस्तान या अपनी निजी कृषि भूमि में दफनाने की अनुमति मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि शव को रमेश की निजी कृषि भूमि में दफनाया जाएगा।
राज्य सरकार को इस प्रक्रिया के लिए सुरक्षा प्रदान करनी होगी।
अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह ईसाइयों के लिए कब्रिस्तान चिन्हित करने का काम दो महीने के भीतर पूरा करे।
“शव 7 जनवरी से पड़ा था”
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में देरी पर चिंता जताई और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रमेश को अपने पिता को ईसाई रीति-रिवाज से दफनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
शव 7 जनवरी से मुर्दाघर में रखा हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पर इस मुद्दे को समय पर सुलझाने में विफल रहने की बात कही।
हाई कोर्ट ने ठुकराई थी याचिका
रमेश ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अपने पिता को चिंदवाड़ा के कब्रिस्तान में दफनाने की अनुमति मांगी थी।
हाई कोर्ट ने इस मांग को ठुकरा दिया, जिसके बाद रमेश ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
अदालत का जोर: सौहार्दपूर्ण समाधान
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाना चाहिए।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा,
“भाईचारा बढ़ाना सभी नागरिकों का दायित्व है। राज्य सरकार को इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए थी।”
आगे का कदम
राज्य सरकार को पूरे राज्य में ईसाइयों के लिए कब्रिस्तान चिन्हित करने का निर्देश दिया गया है।
यह प्रक्रिया दो महीने के भीतर पूरी की जानी है।
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