जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने देश की आर्थिक वृद्धि तेज करने को लेकर अंतरिक्ष और भू-स्थानिक क्षेत्र से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने का आह्वान किया है।
उन्होंने सोमवार को आयोजित एक संगोष्ठी में कहा कि वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी अभी दो प्रतिशत है, जिसे बढ़कर 10 प्रतिशत किए जाने की जरूरत है। इसमें निजी क्षेत्र, खासकर स्टार्टअप इस बदलाव को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कांत अंतरिक्ष और भूस्थानिक क्षेत्र के लिए भारत में विनिर्माण विषय पर ‘जियोस्पेशियल वर्ल्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स’ द्वारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए अंतरिक्ष और भू-स्थानिक क्षेत्र के लिए भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने की जरूरत है।’
एक विज्ञप्ति के मुताबिक, नीति आयोग के पूर्व प्रमुख कांत ने कहा कि अंतरिक्ष और भूस्थानिक क्षेत्र में भारत का कद बढ़ रहा है जो बताता है कि क्षेत्र में स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काफी अवसर हैं।
जियोस्पेशियल वर्ल्ड और उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में कांत ने कहा, ‘‘भारत वर्तमान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। यह अगले ढाई साल में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2047 तक 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करने के लिए अंतरिक्ष और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र आर्थिक वृद्धि को प्रमुख रूप से गति देने का काम करेंगे।’
कांत ने संचालन व्यवस्था में सुधार और ग्रामीण-शहरी असमानताओं को दूर करने में वास्तविक समय में उपलब्ध आंकड़ों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, ‘हमें निष्क्रिय प्रतिभागियों को आर्थिक विकास में सक्रिय योगदानकर्ता में बदलने की जरूरत है और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इस परिवर्तन के लिए आवश्यक है।’
इस मौके पर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और महासचिव डॉ. रणजीत मेहता ने बढ़ते स्टार्टअप परिवेश की सराहना करते हुए कहा, ‘देश में 150,000 से अधिक स्टार्टअप की मौजूदगी के साथ भारत का भू-स्थानिक और अंतरिक्ष उद्योग वृद्धि के लिए पूरी तरह तैयार है। हम इन क्षेत्रों में नवोन्मेष को बढ़ावा देने वाली पहल का समर्थन करने के लिए उत्साहित हैं, जो 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।’’
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