कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की स्वीकृति बरकरार रखने का आदेश दिए जाने के एक दिन बाद राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना की और उस पर चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने तथा उन्हें गिराने के लिए ‘‘कपटी तरीके’’ अपनाने का आरोप लगाया।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को बड़ा झटका देते हुए उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने भू आवंटन मामले में उनके विरूद्ध जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गयी मंजूरी को चुनौती दी थी। अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल के आदेश में कहीं भी ‘‘समुचित विचार की कमी नहीं है।’’
मुख्यमंत्री ने मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा (एमयूडीए) पॉश क्षेत्र में उनकी पत्नी को किये गये 14 भूखंडों के आवंटन में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में उनके खिलाफ राज्यपाल थारवरचंद गहलोत द्वारा दी गयी जांच की मंजूरी को चुनौती दी थी।
सिब्बल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अब कर्नाटक। चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने तथा गिराने के लिए भाजपा के कपटी तरीके : विधायकों को लालच देना, दसवीं अनुसूची का दुरुपयोग करना, डर पैदा करना (ईडी, सीबीआई) और राज्यपालों का अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों के इतर काम करना।’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिर कहना : ‘भाजपा के लिए संविधान का महत्व गीता से कहीं अधिक है।’’’
सिब्बल ने इस संदर्भ में भाजपा के हरियाणा में खरखौदा से उम्मीदवार पवन खरखौदा की कथित टिप्पणियों का जिक्र किया कि संविधान एक पवित्र ग्रंथ है जिसका महत्व गीता से कहीं अधिक है।
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