कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के ‘सरेंडर’ वाले बयान ने राजनीति में तहलका मचा दिया है। बीजेपी के नेता इस बयान पर लगातार हमला बोल रहे हैं और कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं। इस बीच कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने राहुल गांधी के बयान पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है।
शशि थरूर ने कहा, “जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की भाषा बोलता रहेगा, तब तक भारत भी बल की भाषा बोलेगा।” वे वर्तमान में अमेरिका में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जो पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़े रिश्तों को उजागर कर रहा है और भारत के इस मसले पर रुख को स्पष्ट कर रहा है।
शशि थरूर का बयान: “भारत को किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं”
थरूर ने कहा, “हम अमेरिकी राष्ट्रपति और अमेरिका का बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन हम कभी भी किसी तीसरे पक्ष से मध्यस्थता की बात नहीं करना चाहते। हमें पाकिस्तानियों की भाषा बोलने में कोई दिक्कत नहीं है।”
राहुल गांधी के बयान से राजनीतिक बवाल
मंगलवार को राहुल गांधी ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद संघर्ष विराम के लिए अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिकी दबाव के कारण प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के साथ कड़े रुख से पीछे हटने का फैसला किया।
इस आरोप पर जवाब देते हुए शशि थरूर ने कहा, “जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की भाषा बोलता रहेगा, भारत बल की भाषा बोलता रहेगा और इसके लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं। अगर पाकिस्तान आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को खत्म करने को तैयार है, तो हम उनसे बातचीत करने को तैयार हैं।”
थरूर का स्पष्ट संदेश
थरूर ने जोर देकर कहा कि भारत को हाल ही में हुए टकराव के दौरान बाहरी सलाह की जरूरत नहीं थी क्योंकि अगर पाकिस्तान अपनी आक्रामकता बंद करता है तो सब कुछ शांत हो जाएगा। उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका पाकिस्तान से कहता है कि वे रुक जाएं और भारतीय भी रुकने को तैयार हैं, तो यह दोनों देशों के बीच बेहतर संकेत होगा।”
शशि थरूर के इन बयानों से साफ है कि कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए भी भारत के सुरक्षा रुख में कोई समझौता नहीं है, और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रवैया ही प्राथमिकता है।
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