पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा का बुधवार शाम 5 बजे निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती थे। 89 वर्षीय ढींडसा उम्रजनित बीमारियों से पीड़ित थे। उनके निधन की खबर के साथ ही पंजाब सहित पूरे राजनीतिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
सूत्रों के मुताबिक, जरूरी कागजी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद उनका पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह परिजनों को सौंपा जाएगा और उसी शाम उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दुखद समाचार के बाद कई वरिष्ठ नेता अस्पताल पहुंचकर परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त कर रहे हैं।
ढींडसा का राजनीतिक जीवन: एक निष्ठावान संघर्ष का सफर
सुखदेव सिंह ढींडसा का जन्म 9 अप्रैल 1936 को हुआ था। उन्होंने 1972 में निर्दलीय विधायक के रूप में राजनीति में कदम रखा। इसके बाद 1980 और 1985 में संगरूर से विधायक चुने गए।
वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 2000 से 2004 तक केंद्रीय मंत्री रहे, जहां उन्होंने रसायन और उर्वरक मंत्रालय, खेल मंत्रालय आदि का कार्यभार संभाला। इसके अतिरिक्त वे राज्यसभा के सदस्य भी दो बार रहे—1998 से 2004 और 2010 से 2022 तक।
उन्होंने 2004 से 2009 तक संगरूर से लोकसभा सांसद के रूप में भी सेवा दी।
शिरोमणि अकाली दल से मोहभंग और वापसी
2020 में शिरोमणि अकाली दल से मतभेद के बाद उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) का गठन किया। हालांकि 2024 में सुखबीर सिंह बादल के आग्रह पर उन्होंने अपनी पार्टी का पुनः शिरोमणि अकाली दल में विलय कर दिया और संरक्षक घोषित किए गए। कुछ समय बाद मतभेदों के चलते उन्हें इस पद से हटा दिया गया।
नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शोक जताते हुए कहा, “राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, पर मानवता के नाते हम गहरा दुख प्रकट करते हैं।”
सुखबीर सिंह बादल ने एक्स पर लिखा, “ढींडसा साहब की सेवाओं को भुलाया नहीं जा सकता। उनका योगदान अमूल्य था।”
कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने उन्हें “पंजाब का महान सपूत” बताया और कहा कि “उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती।”
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लिखा, “वे एक सम्मानित और समर्पित नेता थे, जिन्होंने पंजाब के लिए अथक सेवा की।”
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