ईद से पहले और पहली चैत्र नवरात्र के दिन सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई। यह फिल्म परंपरागत शुक्रवार के बजाय रविवार को रिलीज हुई, जो एक नया ट्रेंड सेट करने की कोशिश लगती है। सलमान खान की फिल्मों में हमेशा भाईचारे, मोहब्बत और मेलोड्रामा का तड़का देखने को मिलता है और ‘सिकंदर’ भी उसी फॉर्मूले को आगे बढ़ाती है।
फिल्म की शुरुआत में रश्मिका मंदाना की आवाज सुनाई देती है –
“राजा वो नहीं जो साम्राज्य पर शासन करे, असली राजा वो होता है जो जनता के दिलों पर राज करता है।”
यहीं से फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है, जहां सलमान खान को वीर, परोपकारी और साहसी नायक के रूप में दिखाया गया है। फिल्म में 70-80 के दशक के सिनेमा का फ्लेवर भी देखने को मिलता है, जो हमें ‘दीवार’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ और ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी यादगार फिल्मों की याद दिलाता है।
सलमान का ‘सिकंदर’ – दीवार, मुकद्दर का सिकंदर और अमर अकबर एंथनी की झलक!
फिल्म में सलमान संजय राजकोट के किरदार में नजर आते हैं, जो न सिर्फ जनता के दिलों पर राज करता है, बल्कि दरियादिल, बहादुर और बलिदानी नायक भी है। उनका मिशन है –
✅ गरीबों की मदद करना
✅ जरूरतमंदों की रक्षा करना
✅ हर रोते हुए इंसान के चेहरे पर मुस्कान लाना
फिल्म का पूरा फोकस सलमान के महान नायक के किरदार को उभारने पर है, जो हमें ‘वांटेड’ के बाद आई उनकी ज्यादातर फिल्मों की याद दिलाता है।
ऑर्गन डोनेशन का दिल छू लेने वाला संदेश
‘सिकंदर’ सिर्फ एक्शन और मेलोड्रामा तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसमें ऑर्गन डोनेशन जैसा संवेदनशील विषय भी उठाया गया है।
फिल्म में सलमान की पत्नी साईंश्री (रश्मिका मंदाना) का निधन हो जाता है, जिसके बाद उन्हें पता चलता है कि उसने तीन लोगों को अपने अंग दान किए थे –
🫁 एक किशोर को फेफड़ा (लंग्स)
❤️ एक युवती को दिल (हार्ट)
👀 एक महिला को आंखें (आईज)
जब सिकंदर को यह सच्चाई पता चलती है, तो वह इन तीनों लोगों की सुरक्षा और भलाई के लिए मिशन पर निकल पड़ता है। यह इमोशनल ट्रैक दर्शकों को झकझोर देता है और फिल्म का सबसे मजबूत पहलू बन जाता है।
‘दीवार’ के डायलॉग की याद दिलाएगा सिकंदर का अंदाज
फिल्म में एक सीन है जहां विलेन (कटप्पा फेम सत्यराज) सिकंदर को ढूंढने की कोशिश कर रहा होता है, और तभी सलमान एक आइकॉनिक डायलॉग मारते हैं –
“आप लोग मुझे बाहर तलाश रहे हैं, मैं तो आपका घर में इंतजार कर रहा हूं!”
यह सीन अमिताभ बच्चन की ‘दीवार’ के मशहूर डायलॉग “तुम लोग मुझे वहां ढूंढ रहे हो, मैं तुम्हारा यहां इंतजार कर रहा हूं” की याद दिला देता है। इसके बाद विलेन की मांद में घुसकर सिकंदर की जबरदस्त फाइट देखने को मिलती है।
नए जमाने की ‘अमर अकबर एंथनी’ की झलक!
ईद के मौके पर सलमान की फिल्मों में अक्सर कौमी एकता और भाईचारे का संदेश होता है। ‘बजरंगी भाईजान’ इसकी सबसे बेहतरीन मिसाल है।
‘सिकंदर’ में भी इसी थीम को पेश किया गया है।
👉 फिल्म में सिकंदर की पत्नी का लंग्स एक मुस्लिम किशोर ‘कमरूद्दीन’ को दिया जाता है।
👉 उसका दिल एक हिंदू युवती को और आंखें किसी और समुदाय की महिला को मिलती हैं।
फिल्म बताती है कि इंसानी रिश्ते जात-पात से ऊपर होते हैं और मरने के बाद हमारा शरीर सिर्फ मानवता की सेवा करता है।
क्या ‘सिकंदर’ बन पाएगी दूसरी ‘बजरंगी भाईजान’?
अगर डायरेक्टर ए.आर. मुरुगॉदास इस विषय को और गहराई से एक्सप्लोर करते तो यह फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ की तरह ऑल-टाइम क्लासिक बन सकती थी। हालांकि, कहानी में पॉलिटिक्स और एक्शन को ज्यादा तवज्जो देने के चलते यह एंगल उतना प्रभावी नहीं बन पाया।
फाइनल वर्डिक्ट – देखनी चाहिए या नहीं?
✅ अगर आप सलमान खान के फैन हैं, तो यह फिल्म पूरी तरह से उनके स्टाइल और स्वैग में डूबी हुई है।
✅ मेलोड्रामा, बड़े-बड़े डायलॉग और एक्शन सीक्वेंस पसंद करने वालों को यह जरूर पसंद आएगी।
✅ ऑर्गन डोनेशन और इंसानियत का संदेश फिल्म को एक इमोशनल टच देता है।
हालांकि, फिल्म में अगर कहानी को और गहराई से लिखा जाता तो यह ‘बजरंगी भाईजान’ जैसी एक यादगार फिल्म बन सकती थी।
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