राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट का प्रभाव बढ़ा, गहलोत का जादू फीका पड़ा

राजस्थान लोकसभा चुनाव 2024: उत्तर प्रदेश और हरियाणा की तरह ही राजस्थान में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। पिछले दो लोकसभा चुनावों में सभी 25 सीटें जीतने के बाद भाजपा इस बार सिर्फ 14 सीटें ही जीत पाई।

इसके विपरीत, ‘इंडिया’ के साथ गठबंधन में कांग्रेस पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 25 में से 11 सीटें जीतीं। गौरतलब है कि एक दशक में यह पहली बार है जब कांग्रेस ने राज्य में सीटें जीती हैं।

कांग्रेस की सफलता में सबसे ज्यादा ध्यान नेता सचिन पायलट पर है, जिन्हें पार्टी की जीत का ‘हीरो’ माना जा रहा है। कांग्रेस ने अपने दम पर आठ सीटें जीतीं और खास बात यह है कि इनमें से पांच उम्मीदवार पायलट के समर्थक माने जाते हैं। राजस्थान लोकसभा चुनाव के दौरान पायलट ने काफी मेहनत की, जिसका फायदा पार्टी को मिला। उनका प्रभाव खास तौर पर दौसा सीट पर दिखा, जहां कांग्रेस उम्मीदवार मुरलीलाल मीना ने 237,340 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।

कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों में मुरलीलाल मीना ने सबसे बड़ा अंतर से जीत दर्ज की। कांग्रेस ने टोंक-सवाई माधोपुर, श्रीगंगानगर, झुंझुनू, धौलपुर-करौली और भरतपुर में भी जीत दर्ज की, जिन्हें पायलट का गढ़ माना जाता है। यह दर्शाता है कि पायलट के समर्थकों ने राजस्थान में कांग्रेस के पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पायलट की कड़ी मेहनत ने स्पष्ट रूप से फल दिया है।

इसके विपरीत, इस चुनाव में अशोक गहलोत का प्रभाव कम होता हुआ दिखाई दिया। गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जालौर लोकसभा सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा, जो परिवार के राजनीतिक गढ़ में गिरावट का संकेत है।

सचिन पायलट का उदय और गहलोत का लुप्त होता प्रभाव राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।

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