भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट को लेकर की गई विवादास्पद टिप्पणी पर अब कानूनी कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। उनके खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करने के लिए अटॉर्नी जनरल की मंजूरी मांगी गई है, लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अगले सप्ताह सुनवाई करने को तैयार हो गया है।
⚖️ क्या है पूरा मामला?
सांसद दुबे ने हाल ही में बयान दिया था कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को देश में “गृह युद्ध” के लिए जिम्मेदार तक ठहराया। यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले कई संदेश फैलने लगे।
🧑⚖️ सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
वकील नरेंद्र मिश्रा ने इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने रखा। उन्होंने कहा कि यह बयान बेहद गंभीर है और कोर्ट की गरिमा को नुकसान पहुंचाने वाला है। कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है और अगले हफ्ते की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
📩 अटॉर्नी जनरल को भेजा गया पत्र
वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी को पत्र लिखकर कोर्ट की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत सांसद दुबे के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की अनुमति मांगी है।
उनका कहना है कि:
“निशिकांत दुबे का बयान न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को चोट पहुंचाने वाला है और इसका मकसद न्यायपालिका की विश्वसनीयता को कम करना है।”
🧍♂️ बीजेपी ने खुद को किया अलग
इस पूरे विवाद पर बीजेपी ने बचाव की मुद्रा अपनाते हुए कहा कि यह निशिकांत दुबे के व्यक्तिगत विचार हैं।
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान जारी कर कहा कि पार्टी के नेता इस तरह की भड़काऊ टिप्पणियों से बचे।
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