Lucknow, Jan 16 (ANI): Bahujan Samaj Party (BSP) supremo Mayawati during a party meeting, in Lucknow on Thursday. Party National Coordinator Akash Anand also present. (ANI Photo)

तीसरी पारी में वापसी: मायावती ने फिर से सौंपा आकाश आनंद को बीएसपी का कमान

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ देखने को मिला है। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में दोबारा शामिल कर लिया है। उन्हें फिर से राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया गया है और राष्ट्रीय प्रचार-प्रसार की बड़ी जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।

गौरतलब है कि सात हफ्ते पहले, मार्च 2025 में ही मायावती ने आकाश को अनुशासनहीनता और परिवारिक हस्तक्षेप के आरोप में पार्टी से बाहर कर दिया था। अब उनके लौटने के साथ ही बीएसपी में एक बार फिर से बुआ-भतीजे की जोड़ी सुर्खियों में आ गई है।

तीसरी बार पार्टी में एंट्री
आकाश आनंद की यह तीसरी वापसी है। उन्हें पहली बार 2019 में बीएसपी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया था। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनावों की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई। लेकिन सीतापुर में दिए गए एक विवादित भाषण के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ और उन्हें पद से हटा दिया गया।

मार्च 2025 में मायावती ने साफ कहा था कि उनके जीवनकाल में पार्टी का कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। उन्होंने पार्टी में चल रही गुटबाजी के लिए आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदार ठहराया था और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

माफी से मिली ‘माफ़ी’
13 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर आकाश आनंद ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी मांगते हुए कहा:

“मैं प्रण लेता हूं कि बहुजन समाज पार्टी के हित में अपने रिश्तेदारों, विशेषकर ससुराल पक्ष, को पार्टी के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने दूंगा।”

इसके महज कुछ घंटों बाद मायावती ने माफी स्वीकार कर ली और उन्हें पार्टी में पुनः शामिल कर लिया। हालांकि, इस बार उन्हें कड़ी शर्तों के तहत जिम्मेदारी सौंपी गई है — जैसे कि वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करना और अपने ससुर से दूरी बनाए रखना।

परिवार और कार्यकर्ताओं की मिली-जुली भूमिका
सूत्रों की मानें तो आकाश की वापसी में उनके पिता आनंद कुमार, जो खुद बीएसपी के उपाध्यक्ष हैं, की अहम भूमिका रही। साथ ही पार्टी के कई कार्यकर्ताओं और नेताओं ने भी आकाश को एक युवा और कर्मठ नेता बताते हुए उनका समर्थन किया।

राजनीतिक रणनीति या परिवारवाद?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम युवा नेतृत्व को उभारने की रणनीति हो सकता है, जिससे बीएसपी को अपनी राजनीतिक पकड़ दोबारा मजबूत करने का मौका मिल सके। वहीं आलोचक इसे ‘परिवारवाद की वापसी’ बता रहे हैं।

अब देखना होगा कि आकाश आनंद की यह तीसरी पारी बीएसपी की राजनीति में किस दिशा को तय करती है और आने वाले चुनावों में उनकी भूमिका कितनी प्रभावशाली साबित होती है।

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