राजस्थान में गोशालाओं को गोबर से लकड़ी बनाने की पांच मशीनें देने की योजना शुरू की गई है। इस पहल के तहत, गोपालन विभाग द्वारा राजस्थान से आवेदन मांगे गए हैं। यह योजना पहले आओ, पहले पाओ स्कीम के तहत लागू होगी, जिसका फायदा गोशालाओं को मिलेगा। खास बात यह है कि सर्दियों में भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई होती है, और इस समस्या को ध्यान में रखते हुए गोपालन विभाग ने यह योजना शुरू की है।
अलाव जलाने के लिए अधिकांश लोग पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल करते हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई गई है। गोपालन विभाग की इस पहल से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि इसे ग्रामीणों और किसानों के लिए भी एक नई आय का स्रोत मिलेगा।
गोपालन विभाग के अनुसार, गोबर से लकड़ी बनाने के लिए मशीनें दी जाएंगी, जिनमें गोबर को मशीन में डालकर गोकाष्ठ (गोबर से बनी लकड़ी) तैयार की जाती है। अनुमान के मुताबिक, 1 क्विंटल गोबर से 1 क्विंटल गोकाष्ठ बनाई जा सकती है। मशीनों से एक दिन में लगभग 10 क्विंटल गोबर से गोकाष्ठ तैयार की जा सकती है। गोबर से बनी लकड़ी साधारण लकड़ी की तुलना में सस्ती और कम धुआं छोड़ने वाली होगी, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।
गोकाष्ठ का उपयोग रेस्टोरेंट के अलावा अंतिम संस्कार में भी किया जा सकता है। गांवों में इसका इस्तेमाल कंडों की जगह खाना बनाने में किया जा सकता है। एक अंत्येष्टि में लगभग 70 क्विंटल लकड़ी का उपयोग होता है, जिससे पेड़ नहीं काटने होंगे।
इस योजना के तहत आवेदन करने के लिए गोशाला में कम से कम 600 गायें होनी चाहिए, और गोशाला की जमीन भी अपनी ही होनी चाहिए। पहले यह योजना 1000 गायों वाली गोशालाओं के लिए थी, लेकिन बाद में इसे 600 गायों वाली गोशालाओं तक सीमित कर दिया गया है। आपको यह भी जानकर अच्छा लगेगा कि नागौर जिले के आठ ब्लॉक में लगभग 400 से अधिक गोशालाएं हैं, लेकिन इसमें से केवल चार गोशालाओं ने आवेदन किया है।
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