विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) एक ऐसे स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत और नियम आधारित व्यवस्था के लिए काम कर रहा है, जो अनिश्चित एवं अस्थिर दुनिया को स्थिर करने वाला अपने आप में एक शक्तिशाली कारक है।
जयशंकर ने ‘क्वाड’ देशों के विदेश मंत्रियों के संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘क्वाड’ केवल बातचीत करने का मंच नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच है, जो व्यावहारिक परिणाम पैदा करता है। भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ‘क्वाड’ के सदस्य देश हैं।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत संबंधी हमारी बातचीत हमारी नौसेनाओं के बीच समझ और मानक संचालन प्रक्रियाओं में प्रतिबिंबित होती है। ‘क्वाड’ से शुरू हुई ‘हिंद प्रशांत समुद्री क्षेत्र जागरूकता’ पहल आज सूचना एकत्र करने वाले केंद्रों को जोड़ती है। ‘ओपन-आरएएन’ (रेडियो एक्सेस नेटवर्क), जिसके बारे में हमने बहुत बात की है, पलाऊ में तैनात किया जा रहा है। मॉरीशस में जल्द ही अंतरिक्ष आधारित जलवायु चेतावनी प्रणाली शुरू की जाएगी। हिंद प्रशांत में ऑफ-ग्रिड सौर परियोजनाएं वास्तव में संचालित की जा रही हैं।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर संदेश यह है कि हम चारों लोकतांत्रिक राजनीति, बहुलवादी समाज और बाजार अर्थव्यवस्थाओं वाले देश एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत, नियम-आधारित व्यवस्था और वैश्विक भलाई के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। यह अनिश्चित एवं अस्थिर दुनिया को स्थिर करने वाला अपने आप में एक शक्तिशाली कारक है।’’
भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने नवंबर 2017 में ‘क्वाड’ की स्थापना की थी, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नयी रणनीति विकसित की जा सके। दक्षिण चीन सागर हिंद और प्रशांत महासागरों के बीच स्थित है। चीन, दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर दावा जताता है, जबकि फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इस समुद्री क्षेत्र को अपना हिस्सा बताते हैं।
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