झारखंड के धनबाद में कुछ कोयला उत्पादक क्षेत्रों में पुनर्वास के लिए समर्पित झरिया मास्टर प्लान (जेएमपी) की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास मौजूद है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
धनबाद जिले में कोयला खनन से आग लगने और जमीन धंसने की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अगस्त, 2009 में झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दी थी। इसमें 10 साल की कार्यान्वयन अवधि और दो साल की पूर्व-कार्यान्वयन अवधि के साथ 7,112.11 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश का प्रावधान था। इस योजना की अवधि 2021 में समाप्त हो गई थी।
अधिकारी ने कहा कि जेएमपी योजना का पहला चरण पूरा हो चुका है, जिसमें लगभग 2,800 परिवारों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया गया है और 2021-22 में आग प्रभावित क्षेत्र को 17.32 वर्ग किमी से घटाकर 1.8 वर्ग किमी कर दिया गया है।
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक समीरन दत्ता ने कहा, ‘‘जेएमपी योजना के विस्तार का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास है और हमें उम्मीद है कि इसे जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी क्योंकि इसमें वित्तपोषण को लेकर कोई परेशानी नहीं है। पहले चरण में करीब 2,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी योजना में करीब 7,000 करोड़ रुपये बाकी हैं।’’
इस वित्तपोषण का मूल्य करीब 7,000 करोड़ रुपये बना हुआ है क्योंकि कोल इंडिया प्रभावित इलाके के लोगों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन में योगदान जारी रखे हुए है।
दत्ता ने कहा कि 33,000 आवास पहले ही बनाए जा चुके हैं, जिनमें से बीसीसीएल 18,000 घर बना रहा है जबकि बाकी आवास नोडल एजेंसी झरिया पुनर्वास विकास प्राधिकरण (जेआरडीए) बना रहा है।
उन्होंने कहा कि इस योजना में स्कूल, कॉलेज और अन्य स्मार्ट सिटी सुविधाओं जैसे जरूरी सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण भी शामिल है।
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