आजकल कम उम्र की महिलाओं में भी रसौली (फाइब्रॉएड) की समस्या आम होती जा रही है। ये रसौली गर्भाशय की मांसपेशियों में होने वाली गांठें हैं।आज हम आपको बताएँगे महिलाओं में रसौली की समस्या के कारण, लक्षण और बचाव।
कारण:
- अज्ञात: रसौली के बनने का सटीक कारण अभी भी अज्ञात है।
- हार्मोनल: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन रसौली के विकास में भूमिका निभा सकते हैं।
- आनुवंशिकी: यदि आपके परिवार में किसी महिला को रसौली हुई है, तो आपको भी इसका खतरा अधिक होता है।
- अन्य: मोटापा, उच्च रक्तचाप, और प्रसव न होना भी रसौली के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
लक्षण:
- अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।
- अनियमित या भारी मासिक धर्म रक्तस्राव।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द या दबाव।
- बार-बार पेशाब आना।
- मल त्याग करने में कठिनाई।
- पीठ दर्द।
- संभोग के दौरान दर्द।
यदि आपको ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
बचाव:
- स्वस्थ वजन बनाए रखें।
- नियमित व्यायाम करें।
- संतुलित आहार खाएं।
- धूम्रपान न करें।
- शराब का सेवन सीमित करें।
- तनाव कम करें।
- नियमित रूप से स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच करवाएं।
इलाज:
रसौली के लिए कई इलाज उपलब्ध हैं, जिनमें दवाएं, सर्जरी और अन्य प्रक्रियाएं शामिल हैं। डॉक्टर आपके लक्षणों और स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर उपचार का सबसे अच्छा तरीका तय करेंगे।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि रसौली कैंसर नहीं होती है।
यदि आपको रसौली की समस्या है, तो घबराएं नहीं। डॉक्टर से सलाह लें और उपचार करवाएं।
यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है:
- रसौली 30-40 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में सबसे आम होती हैं।
- 50 वर्ष की आयु तक, लगभग 50% महिलाओं को रसौली हो जाती है।
- रसौली का आकार मटर के दाने से लेकर तरबूज जितना बड़ा भी हो सकता है।
- रसौली महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
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