कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि छत्तीसगढ़ में अब नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने की तैयारी है जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था कि इसका निजीकरण नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक खबर का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि इस इस्पात संयंत्र का निजीकरण वित्त वर्ष 2025 के अंत से पहले तय है।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा। ऐसा लगता है कि बस्तर के एनएमडीसी (राष्ट्रीय खनिज विकास निगम) के इस्पात संयंत्र का वित्त वर्ष 2025 के अंत से पहले निजीकरण तय है। इसकी क्रोनोलॉजी समझिए।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘तीन अक्टूबर 2023 को ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री ने इस्पात संयंत्र का उद्घाटन किया था। इस अवसर पर उन्होंने वादा किया था कि नगरनार इस्पात संयंत्र बस्तर के लोगों की संपत्ति है और उनकी ही रहेगी। स्वयंभू चाणक्य ने 19 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री के वादे को दोहराते हुए कहा कि एनएमडीसी के बस्तर इस्पात संयंत्र का निजीकरण नहीं किया जाएगा।’’
रमेश ने कहा कि छत्तीसगढ़ में इस बात पर आम राय बन गई कि इस्पात संयंत्र को नहीं बेचा जाना चाहिए।
उनके मुताबिक, ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अप्रैल 2017 में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर संयंत्र के निजीकरण पर आपत्ति जताई थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कई मौकों पर निजीकरण को लेकर आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।
कांग्रेस के महासचिव ने कहा, ‘‘नीति आयोग की 21 फरवरी 2021 की बैठक में तो उन्होंने ( भूपेश बघेल ने) एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्ताव रखा था कि राज्य सरकार संयंत्र के संचालन की जिम्मेदारी लेने को तैयार है।’’
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘राज्य के राजनीतिक नेतृत्व की बातों पर ध्यान न देने और अपने वादों से पीछे हटने के बाद, ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री और उनकी सरकार अब नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने की योजना को अंतिम रूप दे रही है। इसे कौन खरीद सकता है, वह एक अलग कहानी है।’’
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