अयोध्या श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने की मांग की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में शंकराचार्य की आपत्तियों का हवाला देते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया गया है। आरोप है कि BJP 2024 के लोक सभा के चुनाव का लाभ उठाने के लिए यह आयोजन कर रही है।
यह याचिका गाजियाबाद के भोला दास की ओर से दाखिल की गई है जिसमे कहा गया है कि पौष महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। यह भी दावा किया गया है कि मंदिर अभी अपूर्ण है, अपूर्ण मंदिर में किसी भी देवी, देवता की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है।
दाखिल याचिका में पीएम और सीएम योगी का इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के खिलाफ बताया गया है। याचिका में कार्यक्रम को केवल चुनावी स्टंट कहा गया है। इस जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हो सकती है।
22 जनवरी 2024 को प्रदेश के सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन करने, रामचरित मानस का पाठ करने, सभी शहरों में रथ/कलश यात्रा निकालने से जुड़े शासनादेश को भी चुनौती
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक और जनहित याचिका ऑल इंडिया लाॅयर्स यूनियन (एआईएलयू), उत्तर प्रदेश के राज्य अध्यक्ष अधिवक्ता नरोत्तम शुक्ल की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में कुल चार लोगों को पक्षकार बनाया गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता के समक्ष याचिका पर अविलंब सुनवाई के लिए प्रार्थना की गई। लेकिन, कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति की कोर्ट ने इसे अति आवश्यक नहीं मानते हुए सुनवाई से इन्कार कर दिया।
याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव की ओर से जारी उस शासनादेश को चुनौती दी गई है, जिसमें 22 जनवरी 2024 को प्रदेश के सभी मंदिरों में भजन-कीर्तन करने, रामचरित मानस का पाठ करने, सभी शहरों में रथ/कलश यात्रा निकालने का शासनादेश जारी किया गया है। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई सूचीबद्ध होने पर ही करेगा।