कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य के लोगों से कन्नड़ को अपने काम-काज की भाषा बनाने का आह्वान किया है। पूर्ववर्ती मैसूर राज्य का नाम कर्नाटक रखे जाने के 50 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को मुख्यमंत्री संबोधित कर रहे थे।
सीएम ने कार्यक्रम में कहा, कि यहां के सभी निवासी लोग कन्नड़ भाषी हैं। ऐसे में आपकी मातृभाषा चाहे जो भी हो, पर काम-काज कन्नड़ भाषा में ही होना चाहिए। कन्नड़ भाषा, राज्य की मुख्य और पहली भाषा होनी चाहिए। हर भाषा को सीखें, लेकिन कन्नड़ राज्य की आधिकारिक भाषा होनी चाहिए।’ यहां पर उन्होंने गोकक आंदोलन का भी उल्लेख किया और कहा, कि कर्नाटक में कन्नड़ की समृद्धि के लिए माहौल बनाने के उद्देश्य से ही कन्नड़ कवलु समिति का गठन किया गया था।
गोकक आंदोलन भी कन्नड़ को राज्य में प्रथम भाषा का दर्जा देने से संबंधित था। उन्होंने कहा कि यही समिति आगे चलकर कन्नड़ विकास प्राधिकरण बनी। इसके साथ ही सीएम सिद्धारमैया ने लोगों से सभी भाषाओं को सीखने और उनका सम्मान करने के साथ ही कन्नड़ को कभी नहीं छोड़ने की अपील की है। इस कार्यक्रम में सीएम ने कन्नड़ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और गोकक आंदोलन से जुड़े नेताओं का सम्मान किया। कन्नड़ के प्रति सीएम का प्रेम देखते ही बन रहा है, जिसकी चर्चा भी हो रही है।
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