कंगाली दूर करने के लिए पाकिस्तान अब उठाएगा यह कदम

पाकिस्तान में जारी संकट थमता नजर नहीं आ रहा है. भारी भरकम कर्ज के तले दबे पड़ोसी देश में महंगाई की मार से जनता पहले ही त्रस्त है और अब तो यहां पेंशन पर जीवन बसर कर रहे पेंशनर्स की मुसीबतें भी बढ़ने वाली हैं. जी हां, कंगाली की हालत में पहुंच चुके पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कर्ज तो दिया, लेकिन एक के बाद एक कड़ी शर्तें भी लगाई, जिसका सीधा असर देश की जनता पर पड़ रहा है. अब आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार को पेंशनर्स पर टैक्स (tax) लगाने का फरमान सुनाया है.

1 लाख से ज्यादा पेंशन पर टैक्स की शर्त
अपने इतिहास से जूझते Pakistan की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. चीन समेत तमाम देशों के कर्ज लेने के साथ ही पाकिस्तान को आईएमएफ ने भी बड़ा लोन दिया है और अब बेलआउट पैकेज को लेकर जारी बातचीत के दौरान IMF ने नई और सख्त शर्त रख दी है. एएनआई पर छपी एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तानी सरकार से कहा है कि जिन पेंशनर्स को एक लाख रुपये से ज्यादा की पेंशन दी जा रही है, उन पर टैक्स लगाया जाए.

IMF पहले भी लगा चुका है कड़ी शर्तें
कंगाली से उबरने के लिए पाकिस्तान की ओर से लगातार लगाई गई गुहारों के बाद आखिरकार IMF ने उसे मदद देने का ऐलान बीते साल कर दिया था और बेलआउट पैकेज के तहत मोटी रकम भी दी, लेकिन इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय संगठन ने ऐसी तमाम शर्तें पहले भी लगाईं, जिनसे देश के लोगों की मुसीबतें और भी ज्यादा बढ़ गईं. कुछ शर्तों का जिक्र करें तो आईएमएफ ने हर तरह की सब्सिडी खत्म करने, पेट्रोल-डीजल और बिजली की दरें बढ़ाने के साथ ही टैक्स कलेक्शन में 10 फीसदी तक इजाफा करने जैसी शर्तें लगाई थीं और पाकिस्तान सरकार उसे मानते हुए जनता पर बोझ बढ़ाती चली गई. अब बारी पेंशनर्स की है और इनकी मुसीबतें बढ़ने जा रही हैं.

IMF ने नए बेलआउट प्रोग्राम के लिए पेंशन रिफॉर्म्स करने की जरूरत पर जोर देते हुए पाकिस्तान में पेंशनर्स पर टैक्स लगाने की जो शर्त लगाई है, उससे हालांकि, हायर पेंशन पाने वालों को झटका लगने वाला है. गौरतलब है कि बेलआउट पैकेज के लिए चौथे दौर की बातचीत हो चुकी है और इसमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने संकटग्रस्त देश में इंश्योरेंस सेक्टर में सुधार और एक अलग रेग्यूलेटरी बॉडी का गठन किए जाने की बात भी कही है.

जीएसटी 18% तक करने का सुझाव
रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ ने पाकिस्तान से मासिक पेंशन पर ‘टैक्स लगाने’ की शर्त रखते हुए कहा है कि ‘नए बेलआउट प्रोग्राम’ के लिए सुधारों की जरूरत होगी. आईएमएफ मिशन ने पाया कि पाकिस्तान में सेल्स टैक्स कलेक्शन सिस्टम समस्याओं से जूझ रहा है और इसका कारण ये है कि केंद्र वस्तुओं पर और स्टेट सर्विसेज पर Sales Tax वसूल रहे हैं. मिशन की ओर से सुझाव दिया गया है कि ये टैक्स कलेक्शन केवल संघीय सरकार द्वारा किया जाना चाहिए. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ग्लोबल लैंडर ने जीएसटी छूट को समाप्त करने और वस्तुओं और सेवाओं पर इसे बढ़ाकर 18 फीसदी करने का भी सुझाव दिया है.

GDP का 42% के बराबर पाकिस्तान पर कर्ज
बदहाल आर्थिक हालात के कारण पाकिस्तान अब तक पूरी दुनिया से अरबों रुपये का कर्ज ले चुका है और लेता ही जा रहा है. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान पर 124.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जो उसकी जीडीपी का 42 फीसदी है. IMF से मिली मदद के बाद उसके खजाने में कुछ उछाल आया है, लेकिन देश के हालातों को सुधारने के लिए ये नाकाफी साबित हो रहा है. बता दें कि बीते 30 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से करीब 9000 हजार करोड़ से ज्यादा की आर्थिक मदद मिलने के बाद मई महीने में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 1.20 लाख करोड़ हो गया. ऐसे में सरकार का कहना है कि उसके पास सरकारी कंपनियों को बेचने का रास्ता बाकी बचा है.