भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा है कि किसी सूचीबद्ध कंपनी द्वारा एक शेयर बाजार में किया गया खुलासा या जानकारी स्वचालित रूप से दूसरे एक्सचेंज पर ‘अपलोड’ हो जाएगी।
यह कदम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा हाल ही में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा खुलासे के साथ-साथ सूचीबद्धता जरूरतों में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव दिए जाने के बाद उठाया गया है। यह प्रस्ताव सेबी के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य एस. के. मोहंती की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित है।
सेबी की प्रमुख बुच ने सोमवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘एक्सचेंज में एक ही ‘फाइलिंग’ बहुत जल्द वास्तविकता बन जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित बदलावों के तहत एक एक्सचेंज को दी गई जानकारी (फाइलिंग) स्वचालित रूप से दूसरे एक्सचेंज पर साझा हो जाएगी।
इसके अलावा बुच ने कहा कि निवेशक जल्द ही 250 रुपये प्रति माह से व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) में निवेश शुरू कर सकेंगे।
बुच ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रीट) पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसी इकाइयों के सरलीकरण के नियम मौजूद हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि मैं रीट पर एक शब्द भी कहूंगी तो मुझपर हितों के टकराव का आरोप लगा दिया जाएगा।’’
बुच ने यह बात ऐसे समय में कही है जब अमेरिकी निवेश एवं शोध कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में उनके और निजी इक्विटी क्षेत्र की कंपनी ब्लैकस्टोन से जुड़े संभावित हितों के टकराव के बारे में सवाल उठाए हैं।
हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट में कहा था, बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
इसके अलावा, हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि रीट विनियम 2014 में सेबी के हालिया संशोधनों से एक विशिष्ट वित्तीय समूह को लाभ पहुंचा है। सेबी ने इन आरोपों को खारिज किया है।
सेबी प्रमुख ने भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने और निवेशकों की जागरूकता बढ़ाने के लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) दस्तावेजों को कई भाषाओं में उपलब्ध कराने की योजना पर भी प्रकाश डाला। साथ ही, उन्होंने समावेश के महत्व पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि उद्योग के लिए पूंजी सृजन और देश के नागरिकों के लिए धन सृजन नियामक के दो बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।
बुच ने बाजारों में प्रौद्योगिकी को अपनाने, बाजार की जटिलता (सही व्यक्ति के लिए सही उत्पाद) और उद्योग के साथ सह-सृजन की जरूरत का भी उल्लेख किया।
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