नई दवा से ब्रेस्ट कैंसर का ट्यूमर होगा खत्म, थेरेपी की जरूरत नहीं

भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन अब इसके इलाज को लेकर उम्मीद की किरण नजर आई है। वैज्ञानिकों ने एक सिंगल डोज वाली दवा विकसित की है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर को खत्म करने में मदद मिल सकती है।

नया मोलिक्यूल: ईआरएसओ-टीएफपीवाई
अमेरिका के अर्बाना-शैंपेन में इलिनोइस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ईआरएसओ-टीएफपीवाई नामक मोलिक्यूल विकसित किया है। इस सिंगल डोज ने चूहों पर किए गए प्रयोग में छोटे ट्यूमर को पूरी तरह खत्म कर दिया और बड़े ट्यूमर के आकार को भी घटा दिया।

कैसे हुई रिसर्च?
वैज्ञानिकों ने चूहों में इंसानों के ट्यूमर को ट्रांसप्लांट किया और फिर इस दवा का ट्रायल किया।

2021 में ईआरएसओ मोलिक्यूल विकसित किया गया था, जो कैंसर सेल्स को खत्म कर सकता था लेकिन इसके कई दुष्प्रभाव थे।
तीन साल की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने इसे और प्रभावी और सुरक्षित बनाते हुए ईआरएसओ-टीएफपीवाई विकसित किया।
थेरैपी की जरूरत होगी खत्म
इस नई दवा के सफल होने पर मरीजों को ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए लंबी और थकाऊ थेरेपी नहीं लेनी पड़ेगी। वर्तमान में मरीजों को सर्जरी के बाद 5-10 साल तक अलग-अलग थेरेपी लेनी पड़ती है, जो ब्लड क्लॉट और मस्कुलोस्केलेटल दर्द जैसी समस्याएं पैदा करती हैं। इन समस्याओं के कारण कई मरीज उपचार बीच में ही छोड़ देते हैं।

भारत में ब्रेस्ट कैंसर की बढ़ती समस्या
भारत में 2000 के बाद से ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं।

2021 में: 1.25 मिलियन से ज्यादा मरीज दर्ज किए गए।
भविष्य की आशंका: विशेषज्ञों का कहना है कि 2030 तक हर साल लगभग 50,000 नए मामले जुड़ सकते हैं।
कारण और युवा महिलाओं पर प्रभाव:
खानपान की गलत आदतें।
बिगड़ी हुई जीवनशैली।
अब 25-30 साल की उम्र में भी महिलाएं इस बीमारी का शिकार हो रही हैं।
उम्मीद का नया दौर
अगर ईआरएसओ-टीएफपीवाई इंसानों पर भी सफल रहता है, तो यह ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह न केवल मरीजों के लिए सरल और प्रभावी इलाज साबित होगा, बल्कि उन्हें लंबे और थकाऊ इलाज से भी बचाएगा।

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