भारत-चीन संबंधों में नई पहल: सीमा और सहयोग पर होगी चर्चा

भारत और चीन के बीच रिश्तों में हाल के दिनों में सुधार देखने को मिला है। पिछले महीने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने बीजिंग का दौरा किया था। अब विदेश सचिव विक्रम मिसरी 26 जनवरी से दो दिवसीय यात्रा पर चीन जा रहे हैं। उनकी इस यात्रा का उद्देश्य सीमा विवाद, कैलाश मानसरोवर यात्रा और अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करना है।

डोभाल की यात्रा का असर
पिछले महीने NSA अजित डोभाल ने बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा विवाद और अन्य मुद्दों पर महत्वपूर्ण बातचीत की थी। डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने लगभग साढ़े चार साल के अंतराल के बाद गश्त फिर से शुरू कर दी है।

विक्रम मिसरी की यात्रा का एजेंडा
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश सचिव विक्रम मिसरी अपनी चीनी समकक्ष के साथ भारत-चीन संबंधों के अगले कदमों पर चर्चा करेंगे।
इसमें शामिल प्रमुख मुद्दे:

सीमा विवाद: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम करने के उपाय।
कैलाश मानसरोवर यात्रा: यात्रा को फिर से शुरू करने पर चर्चा।
राजनीतिक और आर्थिक सहयोग: दोनों देशों के बीच व्यापार और लोगों के आपसी संबंध बढ़ाने के प्रयास।
सीमा पर शांति की प्राथमिकता
भारत का स्पष्ट मानना है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता नहीं होगी, तब तक चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 23 अक्टूबर को कजान में हुई बैठक में डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू करने का फैसला हुआ था।

रिश्तों में सुधार लेकिन चुनौतियां बरकरार
हालांकि, भारत और चीन के बीच हाल के दिनों में बातचीत और सहयोग के संकेत दिखे हैं, लेकिन कई मुद्दों पर अभी भी मतभेद बने हुए हैं।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच के रिश्तों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

निष्कर्ष
भारत और चीन के बीच बढ़ते संवाद से रिश्तों में सुधार की उम्मीद है। सीमा विवाद से लेकर कैलाश मानसरोवर यात्रा तक, दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने वाली है। अब देखना यह है कि विक्रम मिसरी की यात्रा से रिश्तों को नई दिशा मिलती है या नहीं।

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