एनसीएलएटी न्यायाधीश ने थिंक एंड लर्न की दिवाला कार्यवाही से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से खुद को किया अलग

बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन की थिंक एंड लर्न की दिवाला कार्यवाही के खिलाफ एनसीएलएटी के समक्ष दायर याचिका पर सुनवाई सोमवार को स्थगित कर दी गई क्योंकि पीठ के एक सदस्य ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

मामला अब राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रखा जाएगा, जो मामले की सुनवाई के लिए एक अलग पीठ नियुक्त करेंगे।

रवींद्रन ने शिक्षण प्रौद्योगिकी कंपनी बायजू का संचालन करने वाली थिंक एंड लर्न के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।

यह मामला सोमवार को एनसीएलएटी की चेन्नई स्थित दो सदस्यीय पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। पीठ में न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा, सदस्य (न्यायिक) और न्यायाधीश जतिन्द्रनाथ स्वैन, सदस्य (तकनीकी) शामिल थे।

हालांकि, न्यायाधीश शर्मा ने स्वयं को सुनवाई से अलग करते हुए कहा कि वे अपनी नियुक्ति से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के वकील के तौर पर काम कर चुके हैं।

न्यायाधीश शर्मा ने कहा, ‘‘ मैं बीसीसीआई की ओर से वरिष्ठ वकील के तौर पर पेश हुआ हूं। चूंकि वे इस आदेश के मुख्य लाभार्थी हैं, इसलिए मैं इस पर विचार नहीं कर सकता।’’

बीसीसीआई ने थिंक एंड लर्न द्वारा 158.9 करोड़ रुपये के भुगतान में चूक के मामले में दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत एनसीएलटी का रुख किया था।

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की बेंगलुरु पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही की अनुमति दी थी। साथ ही एक अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया था।

थिंक एंड लर्न एक समय भारत का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप था, जिसकी अनुमानित कीमत 22 अरब अमेरिकी डॉलर थी।

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