जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर में बुढ़ापा अपने असर दिखाने लगता है। सुंदरता कम हो जाती है, शरीर झुकने लगता है, बीमारियाँ घेरने लगती हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और शारीरिक ताकत में कमी आने लगती है। हालांकि, अब लोग उम्र बढ़ने की इन परेशानियों को कम करने के लिए अलग-अलग उपाय अपना रहे हैं। कुछ लोग मेकअप या दवाइयों का सहारा लेते हैं, तो कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से खुद को जवान बनाए रखने की कोशिश करते हैं।
आज हम आपको एक ऐसी अनमोल आयुर्वेदिक जड़ी के बारे में बताएंगे जो बुढ़ापे से जुड़ी कई समस्याओं का असरदार इलाज है और इसके कोई साइड इफेक्ट भी नहीं हैं।
कीड़ा जड़ी: पहाड़ी इलाकों का प्राकृतिक वरदान
कीड़ा जड़ी हिमालय की घनी पहाड़ियों में उगने वाली एक खास जड़ी-बूटी है, जिसे अंग्रेज़ी में ‘केटरपिलर फंगस’ और तिब्बत में ‘यारशागुंबा’ कहा जाता है। यह मशरूम जैसी जड़ी है जो एक पौधे (हैपिलस फैब्रिकस) के ऊपर उगती है। इसका आधा हिस्सा कीड़े जैसा और आधा जड़ी जैसा दिखता है, इसलिए इसे कीड़ा जड़ी कहा जाता है। खासतौर पर उत्तराखंड के कुमाऊं (पिथौरागढ़) और गढ़वाल (चमोली) इलाकों में यह पाई जाती है। इसकी कीमत इंटरनेशनल मार्केट में लगभग 20 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है। आप इसे ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।
कीड़ा जड़ी के चमत्कारी फायदे
कीड़ा जड़ी में प्रोटीन, पेप्टाइड, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर को ताकत देते हैं। इसके नियमित सेवन से किडनी, फेफड़े और गुर्दे मजबूत होते हैं, हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और खून की कमी दूर होती है। इसके अलावा, यह अस्थमा, नपुंसकता, कमर और घुटनों के दर्द, कमजोरी और सूजन जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद है। कई आयुर्वेदिक औषधियों में भी कीड़ा जड़ी का इस्तेमाल होता है।
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