नाटो बिखरने की कगार पर? अमेरिका के संभावित एग्जिट से मचा हड़कंप

4 अप्रैल 1949 को दुनिया के सबसे ताकतवर सैन्य संगठन नाटो (North Atlantic Treaty Organization) की स्थापना हुई थी। इसमें 32 देश शामिल हैं, जिनमें 30 यूरोपीय और 2 उत्तरी अमेरिका के देश हैं। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने महज तीन साल में नाटो को बिखरने पर मजबूर कर दिया है।

रूस के खिलाफ यूक्रेन को समर्थन देने के बावजूद, नाटो अब कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। कई यूरोपीय देश पुतिन के बढ़ते प्रभाव के आगे झुकते दिख रहे हैं।

यूरोपीय देशों में दिखी फूट – पोलैंड, नॉर्वे और इटली का अलग रुख!
🔹 पोलैंड – पोलैंड ने बारूदी सुरंग संधि से खुद को अलग कर लिया और कहा कि अब हम रूस से टकराव नहीं चाहते।
🔹 नॉर्वे – रूस के साथ व्यापारिक संबंध बहाल कर रहा है और मछली व्यापार की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
🔹 इटली – यूक्रेन में शांति सेना न भेजने का ऐलान कर चुका है।

इतना ही नहीं, तुर्की पहले ही इस युद्ध में न्यूट्रल रहने की घोषणा कर चुका है।

अमेरिका के बाहर होने के संकेत, नाटो के लिए खतरा!
यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की युद्धविराम नीति पर यूक्रेन नाखुश था। अमेरिका के रुख से कई यूरोपीय देशों ने खुद यूक्रेन का समर्थन करने की घोषणा की, जिसके बाद ट्रंप ने नाटो से बाहर निकलने के संकेत दिए हैं।

🚨 अगर अमेरिका नाटो से बाहर हो जाता है, तो इसका मतलब नाटो की ताकत आधी हो जाना होगा।
🚨 अमेरिका के हटते ही कई यूरोपीय देशों की सुरक्षा खतरे में आ सकती है, क्योंकि वे अमेरिकी हथियारों पर निर्भर हैं।

क्या पुतिन की रणनीति सफल हो रही है?
रूस-यूक्रेन युद्ध ने नाटो के अंदर गहरे मतभेद पैदा कर दिए हैं।
अब सवाल यह उठता है कि –
👉 क्या नाटो वास्तव में बिखर जाएगा?
👉 क्या अमेरिका ट्रंप के नेतृत्व में नाटो छोड़ देगा?
👉 अगर नाटो कमजोर होता है, तो क्या रूस को खुली छूट मिल जाएगी?

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