नाना पटोले का आरोप – ‘महाराष्ट्र सरकार कर रही है सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा’

महाराष्ट्र में कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने राज्य सरकार और बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने, कानून व्यवस्था को नज़रअंदाज़ करने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के गंभीर आरोप लगाए हैं। विधानसभा में अपने भाषण के दौरान पटोले ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा,

📌 “बीजेपी भ्रष्टाचारियों के लिए एक वाशिंग मशीन बन गई है, जो भ्रष्ट नेताओं को अपने खेमे में शामिल कर उन्हें ‘साफ-सुथरा’ बना देती है।”
📌 “जो भी नेता भ्रष्टाचार के मामलों में फंसते हैं, वे बीजेपी में शामिल होकर बच निकलते हैं।”

बदलापुर रेप केस – बच्ची से दरिंदगी और आरोपी का एनकाउंटर!
पटोले ने बदलापुर रेप केस का ज़िक्र करते हुए दावा किया कि 5 साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ था, जिसमें बीजेपी से जुड़े कुछ लोग शामिल थे।
📌 “मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे को बचाने के लिए पुलिस ने उसे एनकाउंटर में मार दिया।”
📌 “हाई कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।”

कानून छात्र की मौत – पुलिस की क्रूरता या सरकार की साजिश?
पटोले ने एक पिछड़ी जाति के कानून छात्र की मौत का मामला भी उठाया और आरोप लगाया कि सरकार ने पुलिस क्रूरता से उसकी जान ले ली।
📌 “इस मामले में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की भूमिका संदिग्ध है।”
📌 “हम सरकार से जवाब मांग रहे हैं, लेकिन कोई सफाई नहीं दी जा रही है।”

नागपुर हिंसा – बीजेपी सरकार की सोची-समझी चाल?
📌 पटोले ने नागपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा को सरकार द्वारा प्रायोजित बताया।
📌 “बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ताओं ने औरंगजेब की समाधि को अपवित्र कर माहौल खराब किया।”
📌 “अगर पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो यह दंगा नहीं होता!”

बीजेपी नेताओं के बयानों में विरोधाभास!
पटोले ने बीजेपी नेताओं की कथनी और करनी पर सवाल उठाते हुए कहा कि:
📌 “नागपुर के बीजेपी विधायक प्रवीण दटके कहते हैं कि हिंसा पूर्व नियोजित नहीं थी, जबकि मुख्यमंत्री कहते हैं कि यह साजिश थी! यह विरोधाभास बताता है कि सरकार सच्चाई छिपा रही है।”

क्या विधानसभा में गरमाएगा मामला?
नाना पटोले के इन गंभीर आरोपों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
📌 कांग्रेस ने पटोले के बयानों का समर्थन किया है, जबकि बीजेपी ने अब तक कोई ठोस जवाब नहीं दिया है।
📌 आने वाले दिनों में विधानसभा में यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा सकता है और सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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