योगी के खिलाफ मुख्तार अब्बास नकवी की रहस्यमयी पोस्ट के कई मायने

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कांवड़ यात्रा को लेकर पुलिस के आदेश को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद पर टिप्पणी की है। नकवी ने कहा कि प्रशासनिक भ्रम दूर हो गया है, उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी तरह की सांप्रदायिक गलतफहमी पैदा करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आस्था के सम्मान और सुरक्षा पर सांप्रदायिक राजनीति किसी भी देश, धर्म या मानवता के लिए फायदेमंद नहीं है।

कांवड़ यात्रा को लेकर नकवी का निजी अनुभव

मीडिया से बात करते हुए मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, “सीमित प्रशासनिक दिशा-निर्देशों के कारण भ्रम की स्थिति पैदा हुई। मुझे खुशी है कि राज्य सरकार ने सांप्रदायिक गलतफहमी को दूर कर दिया है। जहां तक ​​नामों का सवाल है, योगी सरकार ने किसी खास धार्मिक समूह को निर्देश नहीं दिया है। यह आदेश सभी दुकानदारों पर लागू होता है। कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु कुछ खास खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचते हैं। इसलिए उनकी आस्था का सम्मान किया जाना चाहिए। मैंने खुद कांवड़ यात्रा में हिस्सा लिया है।”

कांवड़ यात्रा पर नकवी के शुरुआती सवाल

इससे पहले, भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चिंता जताते हुए कहा था, “कुछ अति उत्साही अधिकारियों के आदेश अनजाने में छुआछूत की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं। आस्था के प्रति सम्मान जरूरी है, लेकिन छुआछूत की रक्षा जरूरी नहीं है। जाति या जन्म के बारे में नहीं पूछना चाहिए, हम सभी ईश्वर की संतान हैं।”

ट्रोल्स और शेयर की गई कांवड़ यात्रा की फोटो का जवाब

अपने ट्वीट के लिए ट्रोल्स का सामना करने के बाद, नकवी ने गुरुवार, 18 जुलाई, 2024 को कांवड़ यात्रा में भाग लेते हुए अपनी एक फोटो शेयर की। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, “अरे ट्रोल्स… मुझे कांवड़ यात्रा के लिए सम्मान और आस्था के प्रमाण पत्र मत बांटो। मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि कोई भी आस्था असहिष्णुता या छुआछूत की बंधक नहीं होनी चाहिए।” पुरानी फोटो में उन्हें कंधे पर कांवड़ लिए हुए दिखाया गया था।

कांवड़ मार्ग पर हलाल उत्पादों पर योगी सरकार का बड़ा आदेश

शुक्रवार, 19 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया, जिसके तहत मुजफ्फरनगर ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में कांवड़ मार्ग पर स्थित सभी खाद्य पदार्थों की दुकानों पर नाम-पट्टिकाएँ लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। दुकान के मालिक या संचालक का नाम और पहचान अवश्य प्रदर्शित की जानी चाहिए। यह निर्णय कांवड़ यात्रियों की आस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इस आदेश ने मामले को और तूल दे दिया है, विपक्षी दल पहले ही विभिन्न जिलों में प्रशासनिक आदेशों का विरोध कर रहे हैं।

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