दक्षिण अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज मोर्ने मोर्केल को भारतीय टीम का नया बॉलिंग कोच बनाया गया है। अपने लंबे कद और हाई-आर्म एक्शन के चलते बेजान पिच से भी उछाल हासिल करने वाले मोर्कल को खेलना बल्लेबाजों के लिए हमेशा एक चुनौती रही। बतौर क्रिकेटर संन्यास लेने के बाद मोर्कल ने कोचिंग में भी शानदार काम किया है। उनकी कोचिंग में तेज गेंदबाजों को सिर्फ ‘बॉलिंग’ करने से कहीं ज्यादा चीजें सीखने के लिए मिली है।
मोर्केल वह कोच हैं जिनके मार्गदर्शन का पाकिस्तान की पेस सनसनी नसीम शाह पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा। कोच के तौर पर बहुत एक्टिव मोर्ने मोर्कल भारतीय टीम के हेड कोच गौतम गंभीर की पहली पसंद थे। गंभीर ने खुद माना है कि बतौर गेंदबाज मोर्कल का सामना करना उनके लिए कभी आसान नहीं रहा। मोर्केल ने अपने करियर में तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं। अपने करियर के अंतिम दिनों में वह लाइन-लेंथ और अपने रन-अप पर जबरदस्त कंट्रोल सीख चुके थे। तर्जुबे की यह यात्रा भारतीय युवा पेस बैटरी के बहुत काम आ सकती है।
भारतीय तेज गेंदबाजों के नजरिए से यह भी एक बहुत अच्छी बात है कि मोर्केल ने अपने करियर में चोटों और उनसे वापसी करना बखूबी सीखा था। वह जानते हैं कि कितनी रफ्तार के साथ गेंदबाज को अपने शरीर को रिकवरी के लिए टाइम देना होता है। किस तरह से एक गेंदबाज का शरीर काम करता है। भारत के पास प्रसिद्ध कृष्णा एक ऐसे गेंदबाज हैं जो चोट से जूझते रहे हैं। मयंक यादव एक ऐसे युवा गेंदबाज हैं जिनकी रफ्तार काफी उत्सुकता पैदा करती है। इसके अलावा आकाश दीप, हर्षित राणा, आवेश खान, उमरान मलिक जैसे तेज गेंदबाज हैं। मोर्केल को इन युवाओं के साथ सबसे ज्यादा काम करना है।
मोर्केल का इन गेंदबाजों के साथ काम भारतीय क्रिकेट की तेज गेंदबाजी के भविष्य को तय करने जा रहा है। क्योंकि भारत के पास सीनियर लेवल पर जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज ही ऐसे हैं जो अपनी जगह स्थापित कर सके हैं। टी20 क्रिकेट में अर्शदीप सिंह का भी उभार हुआ है। मोर्केल अर्शदीप सिंह को टेस्ट मैचों के लिए तैयार कर पाए तो यह भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत अच्छा होगा।
भारत के पास साल के अंत में ऑस्ट्रेलिया का दौरा और साल 2025 में इंग्लैंड का दौरा है। तब तक गौतम गंभीर एंड कंपनी यह उम्मीद करेगी कि मोर्केल भारतीय गेंदबाजों के साथ वह काम कर चुके होंगे जो उन्होंने पाकिस्तान के लिए नसीम शाह के साथ किया था। मोर्ने मोर्कल के आगमन के साथ यह उम्मीद की जा सकती है कि वह भारतीय तेज गेंदबाजों के लिए ‘एक कोच से ज्यादा’ साबित होंगे।
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