कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि उनके ‘बासी व्याख्यान’ जो वही पुरानी बातें दोहराते हैं, देश की अर्थव्यवस्था के हर पहलू को प्रभावित करने वाली उनकी ‘पूरी तरह विफलताओं’ को नहीं छिपा सकते। उन्होंने कहा, मोदीनॉमिक्स भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अभिशाप है। उन्होंने घरेलू ऋणग्रस्तता, मूल्य वृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र की समस्याओं जैसे मुद्दों को उठाते हुए दावा किया कि मेक इन इंडिया पूरी तरह विफल हो गया है।
घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर- खरगे
उन्होंने कहा कि वास्तविक रूप से 2013-14 से 2022-23 तक घरेलू देनदारियों/ऋणग्रस्तता में 241 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में घरेलू ऋण 40 प्रतिशत के सर्वकालिक उच्च स्तर पर है। खरगे ने बताया कि घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर है और कोविड-19 महामारी के बाद से भारतीय परिवारों की खपत उनकी आय से अधिक है। उन्होंने कहा, सितंबर 2024 में घर में बनी सब्जी थाली की कीमत पिछले साल की तुलना में 11 प्रतिशत बढ़ गई है। भाजपा की तरफ से लगाई गई मूल्य वृद्धि और असंगठित क्षेत्र का विनाश इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है!
10 वर्षों में ‘मेक इन इंडिया’ विफल रहा- कांग्रेस अध्यक्ष
खरगे ने कहा, 10 वर्षों में, ‘मेक इन इंडिया’ शानदार ढंग से विफल रहा है क्योंकि कांग्रेस-यूपीए के दौरान भारत के बढ़ते निर्यात के लाभ को आपकी नीतियों ने छोड़ दिया है। भारत की निर्यात वृद्धि’ – कांग्रेस-यूपीए: 2004 से 2009 -186.59 प्रतिशत, 2009 से 2014 -94.39 प्रतिशत; भाजपा-एनडीए: 2014-2019 – 21.14 प्रतिशत, 2019-2023 – 56.8 प्रतिशत। उन्होंने कहा, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि 2014-15 और 2023-24 के बीच विनिर्माण क्षेत्र की औसत वृद्धि दर सिर्फ 3.1 प्रतिशत (भाजपा-एनडीए) है, जबकि 2004-05 और 2013-14 के बीच औसत वृद्धि दर 7.85 प्रतिशत (कांग्रेस-यूपीए) थी। इस विनाशकारी नीति ने विनिर्माण में कार्यरत श्रमिकों की हिस्सेदारी को 15.85 प्रतिशत (2017-18) से घटाकर 11.4 प्रतिशत (2023-24) कर दिया है।
‘सूरत में छह महीने में 60 हीरा कारीगरों ने की आत्महत्या’
कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि सूरत में हीरा कारीगरों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके वेतन में 30 प्रतिशत तक की कटौती की गई है और प्रमुख हीरा इकाइयों को सप्ताह में केवल चार दिन काम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पिछले छह महीनों में 60 से अधिक हीरा कारीगरों ने आत्महत्या की है।
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