एक महिला का जीवन कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरता है। पीरियड्स से लेकर मेनोपॉज तक, हर मोड़ पर उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर मेनोपॉज 45 से 55 साल की उम्र के बीच होता है, लेकिन अगर यह 40 की उम्र से पहले हो जाए, तो इसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज कहा जाता है – जो एक गंभीर स्वास्थ्य संकेत हो सकता है।
🧬 क्या है प्रीमैच्योर मेनोपॉज?
जब एक महिला को लगातार 12 महीने तक पीरियड्स न आएं और वह 40 साल से कम उम्र की हो, तो यह स्थिति समय से पहले ओवेरियन फेल्योर कहलाती है। इसमें महिला की ओवरी काम करना बंद कर देती हैं, जिससे एस्ट्रोजन का स्तर घटने लगता है। इससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है और कई हेल्थ रिस्क बढ़ जाते हैं।
⚠️ प्रीमैच्योर मेनोपॉज के लक्षण:
पीरियड्स का अनियमित होना
अचानक गर्मी जैसा महसूस होना (Hot flashes)
रात को पसीना आना
मूड स्विंग्स और नींद की परेशानी
वजाइना में सूखापन
बाल झड़ना, त्वचा का रूखापन
ब्रेस्ट का आकार छोटा होना
🔬 नई स्टडी का चौंकाने वाला दावा
स्वीडन में हुई 26वीं यूरोपियन एंडोक्रिनोलॉजी कांग्रेस में एक स्टडी पेश की गई, जिसमें फिनलैंड की 5,817 महिलाओं को शामिल किया गया जो समय से पहले मेनोपॉज की शिकार थीं।
इनकी तुलना 22,859 अन्य महिलाओं से की गई जो सामान्य उम्र में मेनोपॉज में पहुंचीं।
📊 प्रमुख निष्कर्ष:
प्रीमैच्योर मेनोपॉज से पीड़ित महिलाओं में दिल की बीमारी से मरने का खतरा 2 गुना ज्यादा पाया गया।
कैंसर से मौत का खतरा इन महिलाओं में 4 गुना तक अधिक था।
जिन महिलाओं ने 6 महीने से ज्यादा HRT (Hormone Replacement Therapy) ली, उनमें मृत्यु का खतरा आधा रह गया।
जिनका मेनोपॉज किसी सर्जरी के कारण हुआ, उनमें ऐसा कोई खतरा नहीं दिखा।
💡 इलाज और बचाव
प्रीमैच्योर मेनोपॉज का समय रहते इलाज जरूरी है। HRT इस स्थिति को मैनेज करने का एक असरदार तरीका हो सकता है, लेकिन यह डॉक्टर की सलाह से ही शुरू करना चाहिए।
डॉ. हिल्ला हापा कास्की का कहना है कि “समय से पहले मेनोपॉज में महिलाओं की सेहत पर खास ध्यान देना जरूरी है, ताकि उन्हें लंबी और स्वस्थ जिंदगी दी जा सके।”
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