दुनिया के कई देश भारतीय कलाकृतियों को वापस कर रहे हैं: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल की उनकी यात्रा के दौरान अमेरिका द्वारा करीब 300 कलाकृतियां लौटाये जाने का उल्लेख करते हुये आज कहा कि जब हम अपनी विरासत पर गर्व करते हैं तो दुनिया भी उसका सम्मान करती है और उसी का नतीजा है कि आज विश्व के कई देश हमारे यहाँ से गई हुई ऐसी कलाकृतियों को वापस दे रहे हैं।

श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में यह उल्लेख करते हुये कहा “ मेरी यात्रा के दौरान अमेरिकी सरकार ने भारत को करीब 300 प्राचीन कलाकृतियों को वापस लौटाया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जोय बाइडेन ने पूरा अपनापन दिखाते हुए डेलावेयर के अपने निजी आवास में इनमें से कुछ कलाकृतियों को मुझे दिखाया।”

उन्होंने कहा कि लौटाई गईं कलाकृतियाँ टेराकोटा, स्टोन, हाथी के दांत, लकड़ी, तांबा और कांसे जैसी चीजों से बनी हुई हैं। इनमें से कई तो चार हजार साल पुरानी हैं। चार हजार साल पुरानी कलाकृतियों से लेकर 19वीं सदी तक की कलाकृतियों को अमेरिका ने वापस किया है जिनमें फूलदान, देवी-देवताओं की टेराकोटा पट्टिकाएं, जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाओं के अलावा भगवान बुद्ध और भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियाँ भी शामिल हैं। लौटाई गईं चीजों में पशुओं की कई आकृतियाँ भी हैं। पुरुष और महिलाओं की आकृतियों वाली जम्मू-कश्मीर की टेराकोटा टाइल तो बेहद ही दिलचस्प हैं।

उन्होंने कहा कि इनमें कांसे से बनी भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमाएं भी हैं, जो, दक्षिण भारत की हैं। वापस की गई चीजों में बड़ी संख्या में भगवान विष्णु की तस्वीरें भी हैं। ये मुख्य रूप से उत्तर और दक्षिण भारत से जुड़ी हैं। इन कलाकृतियों को देखकर पता चलता है कि हमारे पूर्वज बारीकियों का कितना ध्यान रखते थे। कला को लेकर उनमें गजब की सूझ-बूझ थी। इनमें से बहुत सी कलाकृतियों को तस्करी और दूसरे अवैध तरीकों से देश के बाहर ले जाया गया था – यह गंभीर अपराध है, एक तरह से यह अपनी विरासत को खत्म करने जैसा है।

श्री मोदी ने कहा “लेकिन मुझे इस बात की बहुत खुशी है, कि पिछले एक दशक में, ऐसी कई कलाकृतियां, और हमारी बहुत सारी प्राचीन धरोहरों की, घर वापसी हुई है। इस दिशा में, आज, भारत कई देशों के साथ मिलकर काम भी कर रहा है। मुझे विश्वास है जब हम अपनी विरासत पर गर्व करते हैं तो दुनिया भी उसका सम्मान करती है, और उसी का नतीजा है कि आज विश्व के कई देश हमारे यहाँ से गई हुई ऐसी कलाकृतियों को हमें वापस दे रहे हैं।”

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