महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 का समर धीरे-धीरे गर्म हो रहा है। राज्य की राजनीति में सत्तारूढ़ दलों और विपक्षी खेमों के बीच जोरदार चुनावी मुकाबले की तैयारी हो चुकी है। इस बार चुनावी रण में कई मुद्दे हैं जो जनता की उम्मीदों, नाराजगी और राजनीति के केंद्र में हैं। साथ ही, प्रमुख पार्टियों के प्रचार अभियान और उनके नेताओं के बयान सियासी हलचल बढ़ा रहे हैं। आइए, एक नजर डालते हैं महाराष्ट्र चुनाव 2024 के प्रमुख मुद्दों, राजनीतिक दलों की रणनीतियों और नेताओं के बयानों पर।
1. शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी): सत्ता बचाने की चुनौती
वर्तमान में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना (शिंदे गुट) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गठबंधन सत्ता में है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे से अलग होने के बाद, शिंदे गुट के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है। शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की जोड़ी ने गठबंधन को मजबूत करने का दावा किया है। इनके प्रचार अभियान में “विकास” और “स्थिर सरकार” का नारा प्रमुख है।
बीजेपी और शिंदे गुट ने पिछले साल से शुरू हुए कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को लेकर जनता के बीच अपनी जगह मजबूत करने की कोशिश की है। मेट्रो प्रोजेक्ट, सड़क विस्तार योजनाएं और अन्य विकास कार्य इनके प्रचार का अहम हिस्सा हैं।
मुख्य मुद्दे:
- विकास: बीजेपी-शिंदे गुट ने राज्य के विकास को प्राथमिक मुद्दा बनाते हुए जनता को तेज़ी से हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक परियोजनाओं का हवाला दिया।
- किसान और सूखा राहत: राज्य में किसानों की आत्महत्या और सूखे से प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत योजनाएं चुनावी वादों में प्रमुख हैं।
- मराठा आरक्षण: मराठा समुदाय को आरक्षण देने के मामले में दोनों दलों ने समाधान निकालने का वादा किया है।
नेताओं के बयान:
देवेंद्र फडणवीस ने कहा है, “हमने विकास के जरिए राज्य को बदलने का संकल्प लिया है, जनता को हमारे साथ रहना चाहिए।” वहीं, एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कहा, “हम मराठा समुदाय के लिए न्यायसंगत आरक्षण दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
2. उद्धव ठाकरे का शिवसेना (UBT): खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश
उद्धव ठाकरे, जिनकी सरकार को 2022 में गिराया गया था, अब शिवसेना (UBT – उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ एक नए संघर्ष में हैं। शिवसेना (UBT) को अपनी खोई हुई सियासी जमीन वापस हासिल करने के लिए कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उद्धव ठाकरे का मुख्य प्रचार अभियान उनके बागी विधायकों और एकनाथ शिंदे पर केंद्रित है, जिन्हें उन्होंने “विश्वासघाती” बताया है।
ठाकरे ने अपनी पार्टी की पुरानी विचारधारा “मराठी मानुष” और “हिंदुत्व” पर जोर देते हुए बीजेपी और शिंदे गुट पर हमला बोला है।
मुख्य मुद्दे:
- विश्वासघात का मुद्दा: उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर “पीठ में छुरा घोंपने” का आरोप लगाया है और इस भावनात्मक मुद्दे के साथ मराठी मानुष की भावनाओं को जागृत करने की कोशिश की है।
- मराठी अस्मिता और हिंदुत्व: शिवसेना (UBT) अपनी पुरानी विचारधारा पर जोर देकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है।
- बीजेपी पर हमला: उद्धव ठाकरे लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर यह कहते हुए हमला कर रहे हैं कि उन्होंने महाराष्ट्र के हितों को दरकिनार कर दिया है।
नेताओं के बयान:
उद्धव ठाकरे ने कहा, “हमने मराठा और मराठी अस्मिता की रक्षा की है। एकनाथ शिंदे और बीजेपी ने विश्वासघात किया है। जनता इस बार सही फैसला करेगी।”
3. कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन: विपक्ष के सामने चुनौती
कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन चुनाव में बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) को चुनौती दे रहा है। शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अपने युवा नेता अजित पवार को आगे बढ़ाया है, जबकि कांग्रेस की ओर से पृथ्वीराज चव्हाण और अशोक चव्हाण प्रमुख चेहरों के रूप में उभर रहे हैं।
इस गठबंधन का चुनावी एजेंडा किसानों, बेरोजगार युवाओं, और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर केंद्रित है। कांग्रेस-एनसीपी ने भाजपा पर राज्य में विकास कार्यों के नाम पर जनता से झूठे वादे करने का आरोप लगाया है।
मुख्य मुद्दे:
- किसान संकट और बेरोजगारी: कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने किसानों के कर्जमाफी और बेरोजगारी को अपने मुख्य चुनावी मुद्दों में रखा है।
- महंगाई: महंगाई का मुद्दा भी इस गठबंधन के लिए मुख्य चुनावी हथियार है, और उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों को दोषी ठहराया है।
- धार्मिक और सामाजिक ध्रुवीकरण: कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन बीजेपी-शिवसेना पर राज्य में धार्मिक ध्रुवीकरण करने का आरोप लगा रहा है।
नेताओं के बयान:
शरद पवार ने कहा है, “महाराष्ट्र की असली समस्या किसानों की बदहाली और बेरोजगारी है। हम इसे हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” पृथ्वीराज चव्हाण ने महंगाई पर हमला करते हुए कहा, “बीजेपी ने महंगाई को आसमान पर पहुंचा दिया है, और गरीब जनता इससे त्रस्त है।”
4. मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना): राज ठाकरे का नया दांव
मनसे के प्रमुख राज ठाकरे एक बार फिर चुनावी मैदान में जोरदार वापसी की तैयारी में हैं। पिछले कुछ सालों से उनकी पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है, लेकिन इस बार राज ठाकरे ने अपने हिंदुत्ववादी रुख को और अधिक धार देने की कोशिश की है। साथ ही, उन्होंने मराठी अस्मिता को फिर से चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास किया है।
मुख्य मुद्दे:
- मराठी अस्मिता: राज ठाकरे ने मराठी अस्मिता और मराठी भाषी लोगों के अधिकारों की लड़ाई पर जोर दिया है।
- हिंदुत्व: राज ठाकरे ने बीजेपी के हिंदुत्व से अलग अपनी खुद की हिंदुत्ववादी विचारधारा को प्रकट करने की कोशिश की है।
नेताओं के बयान:
राज ठाकरे ने कहा, “महाराष्ट्र में मराठी मानुष के साथ न्याय नहीं हुआ है। मैं इस मुद्दे को फिर से उठाऊंगा और मराठी लोगों के अधिकारों की रक्षा करूंगा।”
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में राजनीतिक पार्टियों की लड़ाई सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य की अस्मिता, विकास, आरक्षण, और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर भी केंद्रित है। जहां एक तरफ सत्तारूढ़ गठबंधन अपने विकास कार्यों और स्थिर सरकार के नाम पर वोट मांग रहा है, वहीं विपक्ष किसानों, बेरोजगारी, और महंगाई को प्रमुख मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है।
आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन से मुद्दे जनता के बीच गूंजते हैं और कौन सी पार्टी बाजी मारती है।