दिल्ली के शकरपुर में लड़की का अश्लील वीडियो बनाने के मामले में एक 30 साल के शख्स को गिरफ्तार किया गया है. कथिततौर पर वह किराएदार लड़की का वीडियो बनाने के लिए जासूसी कैमरों का इस्तेमाल करता था. लड़की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए शकरपुर में रह रही थी. आरोपी मकान मालिक का बेटा है. लड़की को शक होने पर जांच की तो बाथरूम के बल्ब होल्डर में कैमरा लगा मिला और मामला पुलिस तक पहुंचा.
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में ऐसे मामलों का जिक्र सेक्शन 77 में किया गया है. कानून कहता है, भारतीय न्याय संहिता की धारा 77 ताक-झांक के अपराध से जुड़ी है. यह धारा किसी महिला को देखने, तस्वीरें खींचने या उनको फैलाने को अपराध मानती है. यह वहां लागू होता है जहां गोपनीयता की अपेक्षा की जाती है. इसमें वे स्थितियां भी शामिल हैं जहां महिला को देखे जाने की जानकारी नहीं होती है. इस कानून का लक्ष्य ऐसे अंतरंग क्षणों में महिला की गोपनीयता की रक्षा करना है.
कानून कहता है, ऐसे मामले में दोषी को कम से कम एक साल की सजा होगी, जिसे तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. इसके साथ जुर्माना भी लगाया जाएगा. एक ही आरोपी यह काम बार-बार करता है तो सजा और बढ़ जाती है. अगर कोई आरोपी दोबारा ऐसा करता है जो उसे कम से कम 3 साल की सजा दी जाएगी. इसे बढ़ाकर 7 साल तक भी किया जा सकता है. इसके अलाावा अतिरिक्त जुर्माना भी वसूला जाएगा.
नए कानून भारतीय न्याय संहिता में सेक्शन 77 और पुराने कानून इंडियन पीनल कोड (IPC) का सेक्शन 354C एक जैसा है जो तांकाझांकी को सख्ती से निपटता है. दोनों ही कानून में बिना मर्जी के महिलाओं की प्राइवेट तस्वीरें लेना, वीडियो बनाना या उन्हें चोरी-छिपे देखना अपराध करार देता है. इसके अलावा बिना उनकी अनुमति के उसे सर्कुलेट करना भी अपराध के दायरे में आता है.
नए कानून में ऐसे मामलों की परिभाषा को और ज्यादा स्पष्ट किया गया है. इसे प्राइवेट एक्ट की कैटेगरी में रखा गया है. भारतीय न्याय संहिता में साफतौर पर बताया गया है कि बिना सहमति के किसी महिला की तस्वीरें लेना, वीडियो बनाना या उसे किसी के साथ शेयर करना भी अपराध है.