अच्छी नींद का मेंटल और फिजिकल हेल्थ से गहरा कनेक्शन होता है. अगर आप की नींद पूरी होती है तो आपका दिमाग तेज चलता है और सेहत से जुड़ी कई समस्याएं शरीर से दूर रहती हैं. कई रिसर्च में पाया गया है कि नींद से जुड़ी समस्याएं पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा परेशान करती है. इसका सबसे बड़ा कारण हार्मोनल बदलाव हो सकता है. इसलिए अगर आप भी नींद की समस्या से जूझ रही हैं तो इन बातों को जान लेना चाहिए…
महिलाओं को कितनी नींद लेनी चाहिए
वुमन्स हेल्थ के अनुसार, अच्छी नींद लेकर आप माइंड और बॉडी को हेल्दी बना सकती हैं. जब आप सोती हैं तो आपकी बॉडी खुद को ऑटोहील करता है. लेकिन अगर रेस्टलेस लेग सिंड्रॉम से जूझ रही हैं तो नींद ले पाना कठिन हो जाता है. ऐसे में नींद न पूरी होने से मेंटल हेल्थ बुरी तरह प्रभावित हो सकता है. इसलिए दिनभर खुद को फ्रेश रखने के लिए महिलाओं को कम से कम 7 से 9 घंटे तक सोना चाहिए. प्रेग्नेंसी में रेस्ट लेना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है. न्यू मॉम को भी अच्छी नींद की दरकार होती है.
महिलाओं में नींद की समस्या ज्यादा होने के 3 कारण
प्रीमेस्ट्रम सिंड्रोम(PMS) और प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) है. इस समस्या में पीरियड की वजह से रातभर नींद नहीं आती है, जो महिलाओं में डिप्रेशन की वजह बन सकती है.
प्रेगनेंसी की वजह से नीदं की समस्या हो सकती है. दरअसल, थर्ड ट्राइमस्टर में महिलाएं पैर में होने वाले क्रैंप, सोने में दिक्कत और बार-बार बाथरूम जाने की वजह से ठीक तरह से सो नहीं पाती हैं.
पेरीमेनोपॉज की वजह से महिलाओं में अनिद्रा की शिकायत हो सकती है. इसमें हॉट फ्लश और रात के वक्त ज्यादा पसीना आने के कारण नींद पूरी नहीं होती है.
स्लीप डिसऑर्डर की पहचान कैसे करें
अगर नींद न आने से परेशान हैं और आपको लगता है कि आप स्लीप डिसऑर्डर की शिकार हो गई हैं तो कुछ लक्षणों से इसका पता लगा सकती हैं. बहुत कोशिश करने के बावजूद भी नींद न आना, सोते समय सांस लेने में अचानक से परेशानी आना, सोते वक्त कई बार सांस न लेा, पैरों का ज्यादा हिलना, खर्राटे की समस्या, रात में बार-बार टॉयलेट जाना, सुबह उठने पर फ्रेश न फील करना और दिनभर नींद आना स्लीप डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.