भारतीय रेसलर विनेश फोगाट की सिल्वर मेडल की अपील को खारिज करने के बाद अब खेल पंचाट (CAS) ने साफ किया है कि आखिरी मेडल क्यों नहीं दिया गया। पेरिस ओलंपिक में 50 किलोग्राम वर्ग कुश्ती के फाइनल से ठीक पहले डिस्क्वालीफाई किए जाने के खिलाफ रेसलर विनेश फोगाट की अपील पर सीएएस ने साफ किया कि खिलाड़ियों को खुद ये सुनिश्चित करना होता है कि वे अपने वजन सीमा के अंदर रहें। ऐसे मामलों में किसी भी परिस्थिति में कोई अपवाद प्रदान नहीं किया जाता है।
दूसरे दिन किया गया अयोग्य घोषित
सीएएस ने कहा कि स्पर्धा के दूसरे दिन वजन में विफलता किसी खिलाड़ी के लिए काफी कठोर होती है। दूसरे दिन फोगाट को वजन अधिक पाए जाने के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वह 50 किलोग्राम वर्ग में चुनौती पेश कर रही थीं, लेकिन 8 आठ अगस्त को फाइनल के दिन वजन 100 ग्राम अधिक था, जिस वजह से उन्हें डिस्क्वालीफाई किया गया।
रैंकिंग सीरीज जैसी कुछ प्रतियोगिताओं में मिलती है दो किलोग्राम की छूट
यूडब्ल्यूडब्ल्यू के नियमों की मानें तो रैंकिंग सीरीज जैसी कुछ प्रतियोगिताओं में दो किलोग्राम वजन की छूट मिलती है, लेकिन ओलंपिक में इस तरह की किसी छूट का प्रावधान नहीं है। विनेश ओलंपिक फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बनी थीं, लेकिन उनके डिस्क्वालीफाई होने से करोड़ों फैंस का दिल टूट गया। जापान की युई सुसाकी पर जीत के बाद उन्हें स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा था, क्योंकि सुसाकी इससे पहले कोई अंतरराष्ट्रीय मुकाबला नहीं हारी थीं।
सीएएस ने कहा- आवेदक को पता था कि…
सीएएस ने अब कहा है कि विनेश फोगाट मामले की सुनवाई करने वाली एकल पीठ इस नतीजे पर पहुंची है कि आवेदक ने अपनी मर्जी से 50 किलो कुश्ती वर्ग में हिस्सा लिया था और उन्हें अच्छी तरह से पता था कि स्पर्धा के लिए उसे 50 किलो से कम वजन बनाए रखना होगा। नियमों के अनुच्छेद 7 में ये साफ लिखा है कि प्रत्येक प्रतियोगी को अपनी स्वतंत्र इच्छा से भाग लेने वाला माना जाता है। वह स्वयं जिम्मेदार है। वह सिर्फ एक भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने का हकदार है, जो कि उस समय के वजन के अनुरूप है।